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'स्व. धन्यकुमारजी
स्व. धन्यकुमार जी के पूर्वज मूलतः फफोलू के रहने वाले थे। इनके बाबा शाह धनपतराय व्यापार के लिये कलकत्ता चले गये और वहीं उत्तरपाड़ा में बस गये। वहीं धन्यकुमार जी का जन्म हुआ । इनके पिताश्री का नाम शाह हरदयाल जी था। उत्तर पाड़ा का दिगम्बर जैन मंदिर श्री धनपतराय जी ने ही बनवाया था। श्री धन्यकुमार जी ने अनेक वर्षों तक कलकत्ता से जैन गजट का प्रकाशन किया तथा अनेक जैन संस्थाओं से संबंधित रहे। आपने विश्वकवि रवीन्द्रनाथ ठाकुर, विख्यात उपन्यासकार शरदचन्द्र चट्टोपाध्याय आदि बंगलाभाषा के अनेक साहित्यकारों की रचनाओं का हिन्दी भाषा में रूपान्तर किया। आपने जैन शोध संस्थान आगरा और शांतिवीर नगर, महावीर जी में साहित्य शोधन का भी कार्य किया । मृत्यु से 14 वर्ष पूर्व आप अपनी ससुराल बरहन आकर रहने लगे थे ।
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स्व. नरसिंहदासजी कौन्देय
आपका जन्म आगरा जिलान्तर्गत चावली ग्राम में हुआ। इस चावली ग्राम में वर्षों से एक न एक विद्वान जन्म लेते रहे हैं। उन्हीं में से एक चोटी के विद्वान पंडित नरसिंहदास जी भी हैं। आपके पिताश्री लाला हेतसिंह जी धर्मानुरागी व्यक्ति थे । वैद्यक का व्यवसाय था । स्थिति साधारण थी । किन्तु जिनभक्ति एवं स्वाध्याय आदि में विशेष रुचि थी ।
आपकी प्रारम्भिक शिक्षा चावली ग्राम में ही हुई। बाद में आपने अलीगढ़ और खुरजा आदि स्थानों में शिक्षा ग्रहण की। उस समय कोई जैन विद्यालय नहीं थे। धर्म की पिपासा आपके हृदय में अंगड़ाइयां ले रही थी। वह ऐसा जमाना था जब ब्राह्मण विद्वान जैन छात्रों को पढ़ाते नहीं थे। आपके पिताश्री के हृदय में तथा स्वयं आपके हृदय में शिक्षा प्राप्त करने की अत्यन्त ललक थी। फलतः आप पं. मोतीलाल जी शास्त्री एवं पं. पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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