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60 महामन्त्र णमोकार एक बैज्ञानिक अन्वेषण अवयवों के उच्चारण-स्थान के रूप में मानते है, जबकि चल अवयवों को भी उच्चारण-अवयव के रूप में स्वीकार करते है । उचारण प्रक्रिया मे जबडा एव ओष्ठ तो स्पष्टतया देखे जा सकते है, जिह्वा भी कुछ दृष्टव्य होती है। अन्य क्रियाए भीतर होती है, बाहर से नहीं देखी जा सकती। एक्सरे,टी०वी०, युवी,लेटिगोस्कोप जैसे उपकरणो से ये क्रियाए समझी जा सकती है। सम्पूर्ण रूप मे यह-मुख, नासिका, कंठ, फेफडे आदि का समुदाय वाणी-मार्ग (Speech-Tract) कहलाता है।
ध्वनियो के उच्चारण वाग्यत्र (Vocal apparatus) से होता है। इसी को उच्चारण-अवयव (Vocal organ) भी कहते है। उच्चारण अवयव निम्नलिखित है___ 1 उपालि जिह्वा (कठ, कठ मार्ग) (Pharynx). 2 भोजन नलिका (Gullet', 3 स्वर यन्त्र कठपिटक, ध्वनियन्त्र) (Larynx), 4 स्वर गन्त्र मुख (काकल) (Glottis), 5 स्वरतन्त्री (ध्वनितन्त्री (Vocal Chord), 6 अभिकाकल-स्वर यत्रावरण (Epiglottis) 7. नासिकाविवर (Nagal cavity), 8 मुख विवर(mouth Carty), 9 अलि जिह्व (कौआ, घंटी) (jvula), 10 कंठ ((Gutter), 11. कोमल तालु (Soft Palate) 12 मर्धा, (Cerebrum), 13 कठोरतालु (Hard Palatc), 14 वर्क्स (Alreala, 15 gta (Teeth), 16 34103 (Lip)
नोट-जिह्वा को कुछ भागो में ध्वनि के स्तर पर विभाजित किया गया है. ___ 17. जिह्वा (Tongue), 18 जिह्वामूल (Root of the Tongue), 19 जिह्वानीक (Tip of the Tongue), 20 जिह्वान-जिह्वा फलक (Front of the Tongue), 21. जिह्वा मध्य (Middle of the Tongue), 22 जिवापश्च (Back of the Tongue)
कतिपय भाषा वैज्ञानिको ने व्यवहारिकता के दष्टिकोण से केवल 16 ध्वनि-अगो को ही स्वीकार किया है।
1 स्वर यन्त्र. 2 स्वर तन्त्री, 3. अभिकाल या स्वर यन्त्रावरण, 4 अलिजिह्वा, 5 कोमल ताल, 6 मर्धा, 7 कठोर तालु, 8 वर्त्य, १ दात, 10. जिह्वा नोक, 11 जिह्वाग्र, 12. जिह्वामध्य, 13 जिह्वापश्च, 14. जिह्वामूल, 15. नासिका विवर, 16 ओठ।