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मन्त्र और मन्त्र विज्ञान / 35
विश्वास और ज्ञान पर आधारित होनी चाहिए। अहंकार वास्तविक ज्ञान और व्यवहार ज्ञान का शत्रु है। दुर्बल और विकलाग से भी शिक्षा प्राप्त होती है
एक अन्धा व्यक्ति रात्रि में दीपक लिए हुए रास्ते पर चला जा रहा था । सामने से आते हुए नवयुवको का दल उस अन्धे पर व्यंग्य से हंसकर दोला, 'सूरदासजी कमाल कर रहे हो, दीपक लेकर क्यों चल रहे हो ?" अन्धे ने कहा, 'यह दीपक आप आंख वालों से बचने के लिए है, क्योकि आप तो मदान्ध होकर चलते हैं, आख पाकर भी अन्धे हैं, मुझसे टकरा सकते है । आशय यह है कि अहंकार ज्ञान का शत्रु है । फिर मन्त्र ज्ञान तो परम निर्मल मन मे ही आ सकता है