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मोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव | 159 की राह मिली। कुछ समय से नियमित जाप बन्द हो गया; फिर भी श्रद्धा के कारण यदाकदा जपता हूं। आश्चर्यजनक अनुभव हो रहा है कि जिस-जिस दिन मैं इस मन्त्र का जाप करता ह, कोई न कोई अप्रत्याशित सकट आ जाता है। -डॉ० मागीलाल कोठारी (51 वर्ष) इन्दौर मथितार्थ
इस सम्पूर्ण निवन्ध का आधार भक्तो का महामन्त्र णमोकार पर अट विश्वास है-तकतिीत शकातीत विश्वास है। उनके मन्त्र सम्बन्धी अनुभव ताकिको और नास्तिको को मिथ्या अथवा आकस्मिक लग सकते हैं।
मै केवल इतना ही कहना चाहता हूं कि हम मनोविज्ञान और अध्यात्म को तो मानते ही हैं। कम से कम मानसिकता और भावनात्मकमा को तो मानते ही हैं। साहित्य के शृंगार, करुण, वीर, रौद्र आदि नव रसों को भी अपने जीवन मे घटित होते देखते ही हैं। यह सब मूलत और अन्तत हमारे मनोजगत् के अजित एव सजित भावों का ही संसार है।
मन्त्री को और विशेषकर इस महामन्त्र को यदि हम पारलौकिक शक्ति से न भी जोड़ें तो भी इतना तो हमे मानना ही होगा कि हमे चित्त की स्थिरता, दृढता और अपराजेयता के लिए स्वय में ही गहरे उतरना होगा और दूसरों के गुणों और अनुभवो से कुछ सीखना होगा। बस महामन्त्र से हम स्वयं की शक्तियों को अधिक बलवती एव चैतन्य युक्त बनाने की प्रेरणा पाते हैं। मन्त्र हमारा आदर्श है हमारी भीतरी शक्तियो को जगाने और क्रियाशील बनाने वाला।
हम अपने निन्यप्रति के संसार मे जब किसी बीमारी, राजनीतिक सकट, शीलसकट, पारिवारिक सकट एक ऐसे ही अन्य सकटो से घिर जाते हैं और घोर अकेलेपन का, असहायता का अनुभव करते हैं, तब हम क्या करते है ? रोते है, चीखते हैं और कभी-कभी घुटकर आत्महत्या भी कर लेते है। या फिर राक्षस भी बन जाते हैं। पर ऐसी स्थिति मे एक और विकल्प है अपने रक्षकों और मित्रों की तलाश। अपनी भीतरी ऊर्जा की तलाश। हम मित्रों को याद करते हैं, पुलिस की सहायता लेते हैं-आदि-आदि। इसी अकेलेपन के सन्दर्भ में सहायता और आत्म-जागरण की तलाश में हम अपने परम पवित्र ऋषियों,