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96 / महामन्त्र णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण
आकृति के सम्बन्ध की ओर भी पुष्ट करता है। उन्होने टेलोस्कोप नाम का यन्त्र बनाया। यह यन्त्र बोले गये शब्दो को माइक्रोफोन से निकालता है और सामने वाले पर्दे पर उनके आकारों को प्रस्तुत कर देता है-उन्हे आकारों में बदल देता है। ओम का उच्चारण करने पर इस यन्त्र के कारण पर्दे पर वर्तुलाकार दिखाई देता है और जब 'म' का चिन्ह धीरे-धीरे लुप्त होता है तो वही आकार त्रिकोण और षट्कोण मे बदल जाता है। ___ यह सम्पूर्ण विश्व ध्वनि और आकृति का ही एक खेल है। इसी को हमारे प्राचीन ऋषियो-मुनियो ने नाम रूपात्मक जगत् कहा है। इस विश्व की प्रत्येक वस्तु ध्वनि-आकृतिमय है। इसी को दूसरे शब्दो मे यो कहा जा सकता है कि प्रत्येक वस्तु प्रकम्पायमान अणु-परमाणुओ का समूह है। प्रत्येक वस्तु मे अणुओ के प्रकम्पनो की आवृति (Frequencies) आदि की विविधता है।
प्राचीन काल मे ऋषियो-योगियो ने अपने अन्तर्ज्ञान से जाना कि जब ध्वनि आकृति में बदल सकती है तो वह द्रव्य मे भी बदल सकती है। उन्होने उस द्रव्य पर नियन्त्रण करने के लिए उस ध्वनि को ही माध्यम बनाया। उन्होंने द्रव्य विशेष पर ध्यान दिया, उस पर अपने मन को अत्यन्त एकाग्र किया और जाना कि उससे एक विशेष प्रकार का स्पन्दन आ रहा है और वह स्पन्दन उस द्रव्य के सारे शक्तिव्यूह को अपने मे लिए हुए है। स्पन्दन के माध्यम से पदार्थ के शक्तिव्यूह को पकडा जा सकता है। र ध्वनि से अग्नि को पैदा किया जा मकता है। ऋपियो ने अनुभव किया कि जब भी कोई वस्तु तरल से सघन होने लगती है तो उसमे से ल ध्वनि आने लगती है। ‘लम्' ध्वनि पृथ्वी तत्त्व की जननो है। 'वम्' ध्वनि जल तत्त्व का आधार है। जल जव वहता है तो उसमे 'वम्' ध्वनि प्रकट होती है। इसी प्रकार 'वम्' ध्वनि से जल को-शीतलता को पैदा किया जा सकता है । 'यम्' ध्वनि वायु का आधार है, 'हम' आकाश का आधार है। ह ध्वनि से आकाश को प्रभावित किया जा सकता है। __ इस प्रकार प्रत्येक तत्व एव वस्तु की स्वाभाविक ध्वनि को पकड़ने की कोशिश की और इस स्वाभाविक ध्वनि के माध्यम से उम तत्त्व