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व मेवों आदि से प्राप्त हो सकते हैं। आयुर्वेद मे ऐसी बहुत सी औषधियाँ है, जिनसे कठिन से कठिन रोग ठीक हो जाते हैं और हमको मासाहार की आवश्यकता भी नहीं पडती । फिर, इस बात का भी क्या विश्वास है कि मासाहार से हम नीरोग हो ही जायेगे? और फिर क्या सभी मासाहारी व्यक्ति स्वस्थ ही रहते है ? प्राय. यह देखा जाता है कि मासाहारी व्यक्ति कई प्रकार के ऐसे रोगो से पीडित रहते हैं जो शाकाहारियो को नहीं होते। मुख्य प्रश्न तो यह है कि इस क्षणिक जीवन के लिए हम कितने जीवो की हिंसा करते रहेगे ? हमे यह समझ लेना चाहिए कि मासाहार प्रत्येक अवस्था में हिंसा है और वह हिंसा ही रहेगा चाहे वह लाचारी से किया जाये चाहे प्रसन्नतापूर्वक।
(१६) आजकल नकली मोती प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से सीपियो को पाला जाता है। उनको एक विशेष प्रकार की गोली खिलाई जाती है। कुछ दिनो में उस गोली पर कोई पदार्थ इस प्रकार चढ जाता है जिससे वह मोती के समान दिखलाई देने लगती है। फिर सीप को काट कर वे मोती निकाल लिए जाते हैं। आजकल बाजार मे अधिकतर ऐसे ही मोती मिलते है। असली मोती भी सीपियो की हत्या करके ही प्राप्त होते हैं। इसलिए एक अहिंसक व्यक्ति को न तो मोती पहनने चाहिए और न दवाई के रूप मे उनका सेवन करना चाहिए।
ऊपर हमने जिन वस्तुओ का उल्लेख किया है, जिनका उत्पादन हिंसा के द्वारा होता है उनके सम्बन्ध मे यदि कोई प्रयोग करने वाले यह तर्क करने लगें कि हम तो पहले से ही उत्पादित वस्तुओ को खरीदते हैं, किसी से हिंसा करने