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भगवान महावीर के २,५०० वें निर्वाण महोत्सव के शुभ अवसर पर "भगवान महावीर और उनकी अहिंसा" का तीसरा संस्करण प्रकाशित करते हुए हमें हर्ष है। जैन व अजैन पाठको तथा पत्र-पत्रिकाओं द्वारा पिछले दो सस्करणों का पर्याप्त स्वागत हुआ था। पाठको के इस उत्साहपूर्ण स्वागत के कारण ही यह तीसरा संस्करण प्रस्तुत करना सम्भव हुआ है । इस पुस्तक को और भी अधिक उपयोगी बनाने की दृष्टि से यत्र-तत्र कुछ प्रसग बढाये गये हैं । आशा है कि इस पुस्तक से जनसाधारण को भगवान महावीर के सिद्धान्तो को समझने तथा उनकी शिक्षाओ व उनके द्वारा प्रतिपादित अहिंसा धर्म का पालन करने की प्रेरणा मिलेगी।
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