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के लिये आहुति समर्पण है ।"
-- (यजुर्वेद अ० ५, मंत्र २५ )
वेदो मे इसी प्रकार के और भी मन्त्र हैं । अब हम विभिन्न पुराणो मे से कुछ श्लोको का हिन्दी अनुवाद दे रहे हैं ।
"कैलाश पर्वत पर भगवान् आदिनाथ (भगवान् ऋषभनाथ) ने युग के आदि मे मुक्ति प्राप्त की तथा रैवत पर्वत ( गिरनार ) पर जिनेन्द्र नेमिनाथ ने मुक्ति प्राप्त की । इसी कारण ये दोनो पर्वत ऋषियों के आश्रम बने और इसी कारण ये मुक्ति मार्ग के कारण माने गये है ।"
- (महाभारत)
" रामचन्द्र जी कहते है कि 'मैं न तो राम हू, न मुझे कोई इच्छा है, न मेरा मन विषय भोगो मे लगता है। मैं तो जिन ( जिनेन्द्र भगवान) के समान अपनी आत्मा मे ही शान्ति प्राप्त करना चाहता हू | ||८|| "
- ( योग वशिष्ट, वैराग्य प्रकरण, सर्ग १५ ) "अग्नीन्ध्र के पुत्र नाभि से ऋषभ नामक पुत्र हुआ । ऋषभ मे भरत का जन्म हुआ, जो कि अपने सौ भाइयो से बडा था । ऋषभदेव ने अपने बडे पुत्र भरत का राज्याभिषेक करके स्वयं प्रव्रज्या ( साधुदीक्षा ) ग्रहण की और तप करने लगे । भगवान ऋषभदेव ने भरत को हिमालय पर्वत से दक्षिण का राज्य दिया था, इस कारण उस महात्मा भरत के नाम से इस देश का नाम भारतवर्ष पडा ।" - (मार्कण्डेय पुराण, अ० ५० – ३६, ४०, ४१) "भगवान ऋषभदेव से वीर भरत का जन्म हुआ, जो अन्य सौ पुत्रो से बडा था भरत के नाम से इस देश का नाम भारतवर्ष पडा ।" - ( वायु पुराण अ० ३७–५२ )
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