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एम० आर०, सी० एल० आर०, सी० पो० सीनियर फिज़ीशियन मार्गेरेट हॉस्पिटल, ब्रामले का भी यही अनुभव है। कि मांस, मछली व अण्डे अप्राकृतिक भोजन हैं । इनसे शरीर मे अनेक भयंकर बीमारिया जैसे कैंसर, क्षय, ज्वर, यकृत, मृगी, बात रोग, पादशोथ, नासूर आदि उत्पन्न हो जाते हैं ।
कोलगेट यूनिवर्सिटी (यू० एस० ए०) के एक वैज्ञानिक श्री ल्याई ने अपने परीक्षणों के आधार पर लिखा है कि मास मे कैलशियम, कार्बोहाइड्रेट्स नही होते, इसलिए उसे खाने वाले चिडचिडे, क्रोधी, निराशावादी और असहिष्णु बन जाते हैं। शाकाहार मे कैलशियम और कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा काफी होती है, इसलिए शाकाहारी प्रसन्नचित्त, आशावादी, सहनशील व शान्तिप्रिय बनते हैं। कठिनाइया उनके साहस और धैर्य को बधाती है । वे नरक मे भी स्वर्ग के विचार रखते हैं |
दो अमेरिकी डाक्टरो डा० ए० वाचमन और डा० डी० एस० वर्नस्टीन ने सिद्ध किया है कि मासाहार से हड्डिया क्रमश कमजोर होती हैं और गलने लगती है । शाकाहारियो की हड्डिया मासाहारियो की अपेक्षा अधिक मजबूत होती है । डाक्टर अलेक्ज़ेंडर हेक ने इस तथ्य की पुष्टि की है ।
इग्लैण्ड के नगरो और गावो का निरीक्षण करने के पश्चात् मि० किंग्सफोर्ड और मि० हेनरी ने लिखा है, "प्राचीन काल मे अग्रेज लोग अत्यन्त बलिष्ठ, स्वस्थ, सुगठित शरीर वाले और अधिक परिश्रमी होते थे, परन्तु जबसे उनके भोजन में प्राकृतिक पदार्थों के स्थान पर मांस, मदिरा, अण्डे व मछली ने अधिकार कर लिया है तबसे
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