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________________ तथा एक मन होता है। स्पर्शन इन्द्रिय का विषय महसूस करना है, रसना इन्द्रिय का विषय स्वाद लेना होता है, घ्राण का विषय सूंघना होता है, चक्षु का विषय देखना और कान का विषय सुनना होता है। इन इन्द्रियो के आधार पर ससार के समस्त प्राणियो को हम छह श्रेणियो मे विभक्त कर सकते हैं। (क) पहली श्रेणी के जीव तो इतने अनुन्नत होते हैं कि उनके केवल एक इन्द्रिय अर्थात् केवल शरीर ही होता है, जैसे-वनस्पति। (ख) दूसरी श्रेणी के जीव ऐसे होते हैं जिनके स्पर्शन व रसना, दो इन्द्रिया होती हैं, जैसे-लट, केचुआ, शख, कोडी आदि जीव। (ग) तीसरी श्रेणी के जीव स्पर्शन, रसना और घ्राण, इन तीन इन्द्रियो वाले होते है, जैसे-सुरसुरी, खटमल, ज, जोक, चीटी आदि जीव । (घ) चौथी श्रेणी के जीव ऐसे होते हैं जिनके स्पर्शन, रसना, घ्राण और चक्षु ये चार इन्द्रिया होती हैं, जैसेमक्खी, भौंरा, ततैया आदि जीव । (च) पाचवी श्रेणी के जीवो के पाचो इन्द्रिया स्पर्शन, रसना, घ्राण, चक्षु और कर्ण होती हैं, जैसे-पानी में रहने वाले साप आदि जीव। (छ) छठी श्रेणी के जीवो के पाचो इन्द्रिया और मन होता है, जैसे-घोडा, गाय, शेर, मनुष्य आदि जीव । ___ इस प्रकार ये जीव उत्तरोत्तर उन्नत श्रेणी के होते जाते है। पहली श्रेणी के जीवो की हिंसा की अपेक्षा दूसरी श्रेणी के जीवो की हिंसा मे हजारो गुना पाप होता है। दूसरी श्रेणी के जीवो की अपेक्षा तीसरी श्रेणी के जीवो की १२४
SR No.010132
Book TitleMahavir aur Unki Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Radio and Electric Mart
PublisherPrem Radio and Electric Mart
Publication Year1974
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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