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रात्रि-भोजन
हिंसा से बचने, अहिंसा धर्म का पालन करने और अपने स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिये रात्रि मे भोजन करना उचित नहीं है। यह सम्भव है कि पश्चिमी देशो की जलवायु भिन्न होने के कारण वहा रात्रि भोजन से स्वास्थ्य को इतनी हानि न होती हो, जितनी भारत मे होती है।
रात्रि भोजन के पक्ष मे कुछ व्यक्ति यह तर्क देते हैं कि जब रात्रि में विद्युत् प्रकाश द्वारा दिन का सा उजाला हो सकता है तो रात्रि मे भोजन करने में कोई बुराई नहीं है।
किन्तु उनका यह तर्क ठीक नही है। विद्युत् के कृत्रिम प्रकाश और सूर्य के प्राकृतिक प्रकाश में बहुत अन्तर है। बरसात के मौसम मे दिन के समय बिजली की रोशनी पर एक भी मच्छर नहीं आता परन्तु रात्रि होने पर उसी रोशनी पर हजारो मच्छर इकट्ठे हो जाते है।
सूर्य के प्रकाश में जितनी अच्छी तरह से वस्तुए दिखाई देती हैं, वैसी बिजली की रोशनी मे कभी दिखाई नहीं दे सकती।
दिन के समय में वायु मे आक्सीजन (Oxygen) की मात्रा अधिक होती है जो हमारे पेट में पडे भोजन को जल्द पचाने में सहायता करती है। __सूर्य का प्रकाश कीटाणुओं का नाशक होता है, जबकि रात्रि का अन्धकार कीटाणुओ की वृद्धि मे सहायक होता
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