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हमको इन तथाकथित धर्म-श्रद्धालुओं की मान्यतामों को तर्क की कसौटी पर कसकर देखना है।
क्या ईश्वर और अल्लाह इस प्रकार की पशु बलि से प्रसन्न होते हैं?
यदि हम ईश्वर और अल्लाह को संसार के समस्त प्राणियों पर दया करने वाला मानें तो कोई भी दयालु ईश्वर या अल्लाह इन निर्दोष व मूक प्राणियो की हत्या से प्रसन्न नहीं हो सकता। एक ओर तो हम ईश्वर और अल्लाह को दयालु, कृपालु, दीनानाथ, सच्चा, न्यायी आदि नामो से पुकारे और दूसरी ओर उनके नाम पर इस प्रकार निर्दयतापूर्वक हत्याकाण्ड करे। क्या ईश्वर और अल्लाह ऐसे क्रूर कार्यों को न्यायोचित कहेगे?
क्या ईश्वर और अल्लाह के नाम पर बलि दिये जाने वाले पशुओ को दर्द नही होता?
इसका उत्तर तो कभी भी ऐसे वधस्थलो को देखने से ही मिल सकता है। बध किये जाने वाले पशुओ को पहले से ही अपनी हत्या किये जाने व पीड़ा होने का भान हो जाता है। उनको बलपूर्वक खीच-खीच कर बधस्थलो पर लाया जाता है। बहुत बार तो बधिक इन पशुओ का मुंह रस्सी से बांध देते हैं, जिससे पीड़ा के कारण उनके मुंह से आवाज भी न निकल सके। बध किये जाते समय वह पशु किस प्रकार तडपता है और किस प्रकार तड़प-तडप कर उसके प्राण निकलते हैं, यह दृश्य देखने मे ही बहुत करुणाजनक होता है। ऐसे समय मे बहुत से बलि देने वाले भी वहा से दूर चले जाते हैं या मुंह फेर कर खडे हो जाते हैं।
क्या बलि दिये जाने वाले पशु स्वर्ग जाते हैं ? इस सम्बन्ध मे तो कोई भी कुछ नहीं कह सकता।