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मदरास व मैसूर प्रान्त।
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(८) नं० ६५ सन् १३१३
मेघचन्द्र नैवेद्य
तथा
कुलभूषण
वीरनंदि
माघनंदि
अनंतकीर्ति
शुभचन्द्र त्रैवेद्य
मलधारी रामचन्द्र
चारुकीर्ति
शुभचन्द्र समाधि १३१३ में
माघनंदि
अमेयशशि
पद्मनंदि
माधवेन्द्र
वालेन्द्र
रामचन्द्र
(९) नं० २५४ (१०५) सन् १३९८ । सिद्धेरवस्ती स्तंभ इसमें श्रीकुन्दकुन्द, उमास्वाति या गृद्धपिच्छ, बलाक पिच्छ समन्तभद्र, शिवकोटिके नाम हैं तथा इसीमें अहंदवली व उनके शिप्य पुष्पदंत भूतबलिके नाम हैं। फिर देवनंदि या पूज्यपाद या जिनेन्द्र बुद्धि, भट्टाकलंक, जिनसेन फिर ज्येष्ठ पुत्र गुणभद्र, फिर नेमिचन्द्र, माघनंदि, अभयचन्द्र, श्रुतमुनि इनके शिष्यके शिष्य अभिनव श्रुतमुनि थे। अभयचंद्रके छोटे भाई श्रुतकीर्ति उनके पुत्र चारुकीर्ति पंडितकी समाधि सन् १३९८में हुई फिर अमिनव पं० हए । इस लेखमें है कि उमास्वाति तत्वार्थसूत्र के कर्ता हैं जिसपर शिवकोटिने एक वृत्ति लिखी। (नोट-यह वृत्ति नहीं मिली है, पता लगाना चाहिये)।
तथा अर्हतबलीने मूलसंघके तीन भाग किये-नंदि, देव और