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प्राचीन जैन स्मारक |
इस लेखमें लिखा है कि श्री कुन्दकुन्दाचार्य वायु द्वारा गमन कर सक्ते थे । यही बात नं० ६४, ६६, ६७, २५४ और ३५१ में भी है । ३५१ में है कि वे भूमिसे ४ इंच ऊंचे चलते थे । गोल्लाचार्य - पहले गोल्लदेशके राजा थे । इनका वंश नूतन चांडिल था ।
मेघचन्द्र चैवेध-बड़े विद्वान थे । सिद्धांतमें जिनसेन और वीरसेन के समान, न्यायमें अकलंक व व्याकरणमें पूज्यपादके समान । यह देशीयके वृषभ गणमें थे ।
(३) नं० ११७ (४३) सन् १९२३, चामुंडराय वस्ती के प्रथम स्तम्भपर। इसमें कल धोतानंदी तक वंशावली लेख नं ० १२७ के समान है । उसके आगे इस भांति है
कलधौतानन्दी
रविचन्द्र या पूर्णचन्द्र
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दामनन्दी - इनके ज्येष्ठ पुत्र श्रीधरदेव थे
I मलघारीदेव
चन्द्रकीर्ति
दिवाकर नन्दी
गंधविमुक्त देव या कक्कुटासन मलधारी । यह कक्कुट आसनसे रहते थे व व कभी शरीर नहीं खुजाते थे ।
भचन्द्र - समाधिमरण सन् १९२३ में
श्रीधरदेब