________________
मदरास व मैसूर प्रान्त। [२५७ जके अंगरक्षकके पुत्र पुट्टदेवरानने सन् १८२७में प्रतिवर्ष गोमटस्वामीकी पूजाके लिये द्रव्य दिया।
ता० १० नवम्बर १९००में कृष्णराज ओडयर चतुर्थ वेलगोला यात्राको आए ऐसा लेख चिक्कवेटपर है। महाराजके दस्तखत है। K. R. .
चंग्लव वंशका उल्लेख । इन राजाओंका एक वंश मैसूरके पश्चिम व कुर्गमें राज्य करता था।
नं० २८८ (१०३) कहता है कि महाराज कुल्लोत्तुंग चंगल महादेवके मंत्रीके पुत्र चन्नवोम्मरसने गोम्मटस्वामीके ऊपरी भागका जीर्णोद्धार सन १६०९में कराया।
निदुगल वंशका उल्लेख । निदुगलके प्राचीन शासक सूर्यवंशी थे। व ये कारिकलचोलके भक्त थे । इनकी राज्यधानी अनन्तपुर जिले में हेमावतीके पास पंजेरूपर थी। ___लेख नं० ६६ (४२) सन ११७६-शांतिश्वर वस्ती कहता है कि, महारान विष्णुवर्द्धनका समकालीन राजा इरुन्गोटा नयकीर्ति सिद्धांतदेवका शिष्य श्रावक था ।
दुसरे आवश्यक लेख ।। नं० ६९ (५५) सन् ११०० कट्टले वस्ती कहता है कि प्रभाचन्द्र आचार्यकी प्रतिष्ठा धारके राजा भोजने की थी व मुनि यशकीर्तिका सम्मान सिंहलद्वीप (सीलोन )के राजाने किया था ।
नं० ३४ पार्श्वनाथ वस्ती करीब सन् ७०० में नागनायकोंके आचार्य नागसेनका स्मारक है।
१७