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मदरास व मैसूर प्रान्त। [२३३ .. पति गंगराजाने सन् १११७ में वसाया था। यहां श्री शांतिनाथस्वामीका मंदिर होयसाल ढंगकी कारीगरीका बहुत बढ़िया नमूना है। प्रतिमा शांतिनाथस्वामीकी बहुत बढ़िया है । यह ५॥ फुट ऊंची है । यहां चार सुन्दर खम्भे हैं जिनमें महीन काम है। सब मैसूरभरमें मंदिर दर्शनीय है। बाहरकी भीतोंमें बहुतसी जैन मूर्तियां हैं व यक्ष यक्षिणी भी हैं। शांतिनाथनीके आसनपर लेख नं० ३८० से विदित होता है कि इस मंदिरको सेनापति विशुद्धेकवांघव रेची मय्य ने बनवाया था और सागरनंदी सिद्धांतदेवकी भेट किया था । एपिग्राफिका करणाटिका जिल्द ५ वीमें आरसीकेरीका लेख नं० ७७ ला : १२२- कहता है कि यह पहले कलचूरी राजाओंका सेनापति था फिर होयसाल राजा वल्लालहि (११७३१२२०) की शरणमें आकर रहा । यह मंदिर भी करीब १२२० का बना है। नवरंगके एक खंभेपर लेख नं० ३७९ कहता है कि इस वम्तीका जीर्णोद्धार सन् १६३२में पालेज पदुमन्नाने कराया था।
(२) अरेगल वस्ती-ग्राममें पूर्व एक दूसरी वस्ती है जो शांतिनाथ वस्तीसे पुरानी है । पुरानी मूर्ति खंडित होगई है वह एक सरोवरमें पड़ी है, मात्र उसका छत्र शिलालेख नं० ३८४८ (१४४) ता० ११३५के पास है जो मंदिरके द्वारके दाहनी ओर है । अब यहां एक सुन्दर संगममरकी श्रीपार्श्वनाथकी मूर्ति ५ फुट ऊंची है। पासमें घरणेन्द्र पद्मावती २॥ फुट है । लेख जोपार्श्वनाथ मूर्तिपर है उससे प्रगट है कि इसे बेलगुलाके भुनवलइयाने सन् १८८९में स्थापित कराया।
जैन समाधि स्थान-ग्रामके दक्षिण पश्चिम समाधि मंडप