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मदरास व मैसूर प्रान्त। [२१३ एक चामुंडराय वस्तीके दक्षिण है । एक एरडुकट्टे वस्तीके पूर्व है। दो ऐसे मंडप महानवमीके समान टेरिनवस्तीके दक्षिण है।
(१६) इरुवे ब्रह्मदेव मंदिर-यह कोटके बाहर एक ही मंदिर है । उत्तर द्वारकी उत्तर तरफ है । इसमें ब्रह्मदेव (क्षेत्रपाल) की मूर्ति है । मंदिरके सामने जो चट्टान है उसपर कई जिनमूर्ति, हाथी आदिबने हैं। कुछोंमें खुदानेवालोंके नाम हैं। लेखनं० १५० व १५१ मंदिरके द्वारपर बताते हैं कि यह मंदिर सन् ९५०का होगा।
(१७) कन्डुन डोन-ऊपरके मंदिरके उत्तर पश्चिम एक सरोवर है जिसको वेल्ल (धातु) सरोवर कहते हैं। यहां कई शिलालेख हैं। एक नं० ४ ४३ सन् ९००के अनुमानका है जो कहता है कि किसी कादम्ब राजाकी आज्ञासे तीन बड़े बनते हुए पाषाण यहां लाए गए थे, दो अभी हैं, एक टूट गया । लेख नं० १६२ कहता है कि इस सरोवरको आनन्द संवत्में मानमने बनवाया था जो करीब ११९४ सन् होगा ।
(१९) लक्कीडोन-कोटके पूर्व दूसरा सरोवर। इसको लक्की नामकी स्त्रीने बनवाया था। यहां ३० शिलालेख नकल किये गए हैं।नं० ४४५ से ४७५ तक। ये सब करीब ९ या १० शताब्दीके हैं । इनमें यात्रियोंके नाम हैं। बहुतसे जैनाचार्य हैं, कवि हैं।
आफिसर है व उच्च पदाधिकारी हैं । इस चट्टानकी अच्छी तरह रक्षा करनी चाहिये।
(१९) भद्रबाहु गुफा-इसमें श्रीभद्रबाहु श्रुतकेवलीके चरणचिह्न अंकित हैं। यहां लेख नं० १६६(७१) करीब ११०० ई. का कहता है कि जिनचंद्र श्रीभद्रबाहुके चरणोंको नमस्कार करता