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________________ मदरास व मैसूर प्रान्त | [ २०३ (१) वर्णन श्री भद्रबाहु श्रुतकेवलीका सन् ९३१ में रचित श्री हरिषेणकृत बृहत् कथाकोश में दिया हुआ है कि भद्रबाहुजीने जैन संघको पुन्नाट देशमें भेजा । श्लोक है - " संघोपि समस्तो गुरु वाक्यतः दक्षिणापथ देशस्थ पुन्नाटविषयम् ययौ । " (२) पांचवी शताब्दी में गंगराजा अविनीतने पुन्नाटके राजा स्कंधवर्माकी कन्या विवाही, उसके पुत्र दुर्विनीतने पुन्नाट गंगराज्य में मिला लिया । (३) पुन्नाके राजाओं में राष्ट्रवर्माका पुत्र नागदत्त, उसका पुत्र भुजंग था । इसने सिंहवर्माकी कन्या व्याही । उनका पुत्र स्कंध था । इनका पुत्र पुन्नाट रविदत्त था, इसकी राज्यधानी कित्थिपुर थी जो वर्तमानमें हेम्गडे देवनकोट तालुकेमें कित्तूर है, पुन्नाट १०००० में कापिनी नदी तक सर्वप्रदेशगर्भित है । (४) चंगलवंश - इसने कुर्गके पूर्व व मैसूर के पश्चिम राज्य किया । प्राचीन राजा सब जैनी थे (देखो येदलोर शिलालेख नं ० २२ से २८) इस वंश के राजा जैन मंदिरोंके अधिकारी तलकावेरी और कुर्गमें थे । इनकी उपाधि महामंडलीक मंडलेश्वर थी । यह चोलोंके आधीन थे इससे इनको राजेन्द्रचोल नन्नी चांगलदेवआदि कहते थे । (१) राजेन्द्र चोलनन्नी चांगलदेव (२) मादेवन्ना १०८९ (३) कुलोत्तुंग चोल चांगल उदयादित्यदेव १०९७ ? (8) (५) 22 इस वंशके राजाओंके नाम । 99 99 "9 99 देव सोमदेव बोघदेव "" १११४ ? १२४६-१२५२.
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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