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मदरास व मैसूर प्रान्त। [२०?. श्रीपुरकी उत्तर ओरके निकट एक लोकतिलक नामका जैन मंदिर स्थापित किया । पृथ्वीनिगुड राजाके निवेदनसे महाराजने निर्गुड देशमें पोन्नली ग्राम पूजाके लिये अर्पण किया। कुछ और भूमि भी दान की गई।
(४६) नं० ९४ ता० ११४२ ई० । कसलगेरी ग्राममें कल्लेश्वर मंदिरके एक पाषाणपर । राजा विष्णुवर्द्धनके राज्यमें उनका सेवक सामन्त सोम जैन गृहस्थ था। इसकी वंशावली यह है कि जब वीर गंग परमानदी हृदुवनकेरीमें कडुले नदीके तटपर चोलों पर हमला करने के लिये जा रहे थे, एक जंगली हाथी दौड़ पड़ा और सेनापर आ गया। यह देखकर अक्यानने उस हाथीको अपने तीरोंसे मार डाला। तब कलुकनी नादके शासकने उसे करीअक्यानकी उपाधि दी। इसका ज्येष्ठ पुत्र सुग्गगोविन्द था उसका पुत्र सामंत सोम था। इस सोमकी स्त्रियां मरय्ये और माचले थीं। माचलेके दो बड़े पुत्र चट्टदेव और कलिदेव थे । जिनभक्त सामन्त सोम कलिकनी नादका नायक और शासक था व श्रीभानुकीर्ति सिद्धांतदेवका शिष्य था। इसने हेबविदिरूरवाड़ीमें एक उच्च चैयालय बनवाया । उसमें श्री पार्श्वजिनकी मूर्ति स्थापित की और मूलमंघ सुराष्ठगणके मुनि ब्रह्मदेवके चरण धोकर अरुहनहल्ली ग्राम भेट किया।
(४७) नं०९५ ता; ११४२ ई० उपरके पाषाणकी बाईं तरफ । इस कलकनीनादके जिनालयका नाम एकोटिजिनालय रक्खा गया।
(४८) नं० ९६ ता० ११५० ई० इसी मंदिरके सामने । पहले ही कलकनी नादके शासक सामन्त सोमकी प्रशंसा है। फिर