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प्राचीन जैन स्मारक ।
१९४४ में इसपर हमला किया । सन् १९६५ में यह मदुराके नायक राजाओंके आधीन होगया ।
१८ वी शताब्दीके आदि भागमें मेरतंड वर्माने इसे ले लिया । येही वर्तमान राजाओंके बड़े हैं ।
पुरातत्त्व - यहां प्राचीन मंदिर हैं ।
(१) अलवये - कोचीन शोवनूर नदीपर ता० अलेनगांड | यहां शंकराचार्य का जन्म हुआ था ।
(२) कोल्लालूर - त्रिवन्द्रमसे दक्षिण २१ मील । कोल्छालूरके पूर्व ३ मील चारलमलई नामकी पहाड़ी है । इसपर भगवती कोविल नामका प्राचीन चट्टान में ख़ुदा मंदिर है। इसके मध्य कमरे में एक नग्न जैन तीर्थंकर की मूर्ति बैठे आसन छात्र सहित है । दूसरी मूर्ति दक्षिणके कमरेमें है । मंदिर के उत्तर चट्टान के मुखपर ३२ जैन तीर्थकरों की मूर्तियां अंकित हैं । तीन शिलालेख हैं ।
(२५) कोचीन राज्य ।
यहां १३६१॥ वर्गमील स्थान है । चौहद्दी है - उत्तरमें मलावार, पूर्व में मलावार और ट्रावनकोर, दक्षिण में ट्रावनकोर, पश्चिममें मलावार और अरब समुद्र । इसके दो भाग हैं। छोटे भागको कोयम्बटूरके मलावार लोग चित्तूर कहते हैं ।
इतिहास - यहां नौमी शताब्दी में केरलका राज्य था । पुरातत्त्व - यहां इतिहासके पूर्व के समाधि स्थान मिलते हैं, पहाड़ में खुदी गुफाएं हैं जिनमें मुख्य तिरुविलवमदे और तिरुकर पर हैं।