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________________ १३६ ] प्राचीन जैन स्मारक | एक शाका १९७१ (सन् १४४९) का है जिसमें जैन मंदिरको - दानका कथन है । (२२) कोरवा से - उडिपीसे पूर्व दक्षिण २६ मील | कारकलसे पूर्व ८ मील । एक जैनमंदिर के आंगन में लेख शाका १०८३ (सन् १९६१) का है जिसमें कुमारराय द्वारा दानका कथन है । (२३) मरने - उडिपीसे पूर्व १६ ॥ मील व कार्कलसे उत्तर ७ मील | यहां एक चावल के खेतमें एक शिलालेख शाका १३३१ (सन् १४०९ ) का है इसमें किसी राजाके वारकरके जैन मंदिर के दान करनेका कथन है । (२४) नल्लूर - अल्दूर मांगने में, उड़िपीसे दक्षिण पूर्व २४ मील । नरना युवानीके घर के पास चावल के खेत में एक शिलालेख शाका १५१८ (सन् १२९६ ) का है। इसमें जैन मंदिरको दान करनेका कथन है । (२५) पादुपनम् बूरु - मंगलोर से उत्तर १ मील । मुलकीसे दक्षिण ३ मील | यहां जैन मंदिरका अग्रस्तम्भ मिलता है जिसपर लेख है । (२६) बैल - ता० उप्पिनेनगडी - तालुका यहांसे पूर्व १७ मील, यहां श्रीपार्श्वनाथजीका जैन मंदिर है । (२७) वेल्लतनगड़ी - मंगलोरसे उत्तर पूर्व ३२ मील । यह प्राचीन नगर था। यहां बंगार राजाका बनाया किला और जैन मंदिर है । ( Sce Buchanan II. P. 291 ) (२८) गुरु यवनकेरी - उड़िपीसे उत्तर पूर्व १२ मील । यहां ५ स्तम्भोंपर एक प्राचीन जैन मंदिर है ।
SR No.010131
Book TitleMadras aur Maisur Prant ke Prachin Jain Smarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kishandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year
Total Pages373
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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