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मदरास व मैसूर प्रान्त। [५५
यहांके मुख्य स्थान । (1) कुंभकोनम् नगर-मदराससे १९४ मील । यहां (७ मैन हैं । यह प्राचीन स्थान है । पुराना नाम मलइकुर्रम है जो सातवीं शताब्दीमें चोलवंशकी राज्यधानी थी । शंकराचार्यके मठमें संस्कृत लिखित ग्रन्थों का अपूर्व संग्रह है । बहुतसे मंदिरों में शिलालेख हैं। यहां जैन मंदिर है।
(२) तिरुवलन्जली-कुंभकोनमसे पश्चिम ६ मील । यहां सुन्दर मंदिर हैं जिनमें बढ़िया पत्थरका काम है । कुछ मूर्तिये जैनियोंकी मालूम होती हैं।
(३) मन्नारगुडी-ता० यही। निदमंगलम्से दक्षिण ९ मील। यहां १५३ जैनी हैं । इसका प्राचीन नाम राजाभिराज चतुर्वेदी मंगलम् था | यह नाम चोलोंका दिया मालूम होता है । यहां पुराना किला है जिसको कहते हैं कि होयसाल वंशियोंने बनवाया था । नगरसे एक मील पश्रिा प्राचीन जैन मन्दिर है । तमोरवासी इसकी बहुत भक्ति करते हैं। हम इस मंदिरका दर्शन करने ता० ११ मार्च १९२६ को गा थे। यह मंदिर बहुत बड़ा सुंदर है । प्रतिमाएं भी सुन्दर व प्राचीन हैं। इसीके हातेमें ज्वालामालिनी देवीका भी मंदिर है जिसको शासनदेवी मानकर जैन लोग भक्ति करते हैं। नगर में २५ शिलालेख (नं० ८५से १०९ सन् १८९७) हैं।
(४) दीपनगुडी-ता० नन्निलम् । यहांसे दक्षिण व पश्चिम ५ मील । यहांका जैन मन्दिर हजारों वर्षका प्राचीन है । हम यहां विरुवल्लुर निवासी श्री बद्धमान मुडेलियस्के पुत्र आदिनाथ