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और उस सर्वोच्च सत्ता के सान्निध्य से उत्पक्ष एक मानन्द होता है। परम सत्य का ग्रहण रहस्यवाद का दार्शनिक पक्ष है और सर्वोच्च सत्ता के साथ मिलने के मानन्द से उत्पन्न अनुभूति धार्मिक पक्ष है ।" E. Caird ने रहस्यवाद को एक मानसिक प्रवृत्ति माना है । जिसमें प्रात्मा और परमात्मा के सभी सम्बन्ध गाभित हो जाते हैं | Caird को यह परिभाषा रहस्यवाद मौर अध्यात्मवाद को एक मानकर चल रही है । William James ने परिभाषा को दिये बिना ही यह कहा है कि उसकी अनुभूति विशुद्धतम और अभूतपूर्व होती है और वह अनुभूति प्रसंप्रेक्ष्य है। Von Hartman ने रहस्यवाद की व्यापकता और परिभाषा पर विचार करते हुए उसे चेतना का वह तृप्तिमय बांध बतलाया है जिसमें विचार, भाषा पोर इच्छा का अन्त हो जाता है तथा जहां अचेतनता से ही उसकी चेतना जाग्रत हो जाती है। प्रायः ये सभी परिभाषायें मनोदशा से विशेष सम्बद्ध हैं। उन्होंने स्वानुभूति को किसी साधना विशेष से नहीं जोड़ा।
Ku. Under Hill (कुमारी अण्डहिल) ने रहस्यवाद की परिभाषा को मनोवैज्ञानिक क्षेत्र के अतिरिक्त दार्शनिक क्षेत्र की अोर लाकर खडा किया है
और कहा है कि-"रहस्यवाद तथ्य की खोज विषयक उस प्रणाली का मुनिदिष्ट रूप है जो उत्कृष्ट एवं पूर्ण जीवन के लिए काम में लाया जाता है और जिसे
1. Mysticism appears in connection with the endeavour of
human-mind to grasp the devine essence or the ultimate reality of things and to enjoy the blessedsess of actual communion with the highest. The first is the philosophical side of mysticism. The Second is the religious side. God ceases to be an object and becomes an experience." My
sticism in Religion by Inge, P. 25. 2. Mysticism is a religion in the most concentrated and exel
usive form. It is that aptitude of mind in which all other relations are swallowed up in the relation of the soul of
God." ibid. P. 25 3. The Varities of Religious Experience, a study in human
nature, Longmans, 1929, P. 429. ___ भक्तिकाव्य में रहस्यवाद, पृ. 12 पर उद्धृत.