________________
316
31. तत्वोपदेश कहताला : एक समालोचन भनेकान्त, वर्ष 15 कि. 2, जून दीपचंद पांड्या
1962 32. बैन अपभ्रश का मध्यकालीन हिन्दी-अनेकान्त वर्ष 16, कि. 2-3,
के मक्तिकाव्य पर प्रभाव जुलाई-अगस्त, 1962
डॉ. प्रेम सागर जन 33. कविवर बनारसीदास की सांस्कृतिक-अनेकान्त वर्ष 15, कि. 4, अक्टू. देन-रवीन्द्रकुमार जैन
1962 34. मादिकालीन 'चर्चरी' रचनाओं की अनेकान्त, वर्ष 15, कि. 4, अक्टूबर
परम्परा का उद्भव और विकास 1962 35. राजस्थानी जैन वेलि साहित्य:-अनेकान्त वर्ष 15, कि. 4, अक्टू. 62
एक परिचय-डॉ. नरेन्द्र भानावत 36 मध्यकालीन जैन हिन्दी काव्य में-अनेकान्त, वर्ष 15 कि. 6, फर. 63
प्रेमभाव-डॉ. प्रेमसागर जैन 37. अलभ्य अन्यों की खोज-अनेकान्त, वर्ष 16, कि. I, अप्रैल 1963
-सुकाशेलदास चउपइ 38. झात कवियों की कतिपय प्रज्ञात-अनेकान्त, वर्ष 23 कि. 5-6 दिसंबर
रचनायें-गंगाराम गर्ग 70-71 39. कवि देविदास का परमानंद विलास-अनेकान्त वर्ष 20, कि. 4, मक्ट्र. डॉ. भामचन्द जैन
1967 40. भगवतीदास का वैद्यविनोद-अनेकान्त वर्ष 21 कि. 2, जून 1967
डॉ. जोहरापुरकर 41. राजस्थान के जैन कवि और उनकी अनेकान्त 26, कि. 2. मई-जून रचनायें-गजानन मिश्र
1973 41. प्राचार्य सोमकीर्ति-अनेकान्त वर्ष 16 कि. 2, जून 63
अ.कस्तूरचंदकासलीवाल बनारसीदास के काव्य में भक्तिरसअनेकान्त वर्ष 16 कि. 3, अक्ट्र. डॉ. प्रेमसागर
63 पला ग्रन्थों की खोज -अनेकान्त वर्ष 16 कि. 4, प्रक्ट्र. 63
डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल 45. दिगम्बर कवियों के रचित फागु-मनेकान्त वर्ष 16. कि. 5, नवम्बर 63
काव्य-अमरचंद नाहटा 46. ठकुरसीकृत पंचेन्द्रिय वेलि-भनेकान्त वर्ष 16, कि. 6, दिसं. 1963
नरेन्द्र भानावत