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एक अक्षर बोलने या लिखने को कहा जाए। उसका बोला या लिखा अक्षर उन नौ अक्षरों में से नहीं हो, तो समझना चाहिए कि उस भूमि में कोई शल्य नहीं है; इसलिए खुदाई की भी ज़रूरत नहीं। यदि कन्या द्वारा बोला गया अक्षर उन नौ अक्षरों में हो, तो उस अक्षरवाले भाग की खुदाई की जाए। कोई शल्य नहीं निकले, तो भूमि-परीक्षा यहीं समाप्त की जाए और मान लिया जाए कि वह भूमि शल्य से साफ-पाक है। यदि खुदाई में कोई शल्य मिले, तो उसे दूर करके उस कन्या से दूसरा अक्षर माँगा जाए। वह अक्षर उन नौ अक्षरों में न हो, तो समझ लिया जाए कि उस भूमि में अब कोई और शल्य नहीं है। वह अक्षर उन नौ अक्षरों में हो, तो अक्षरवाले भाग की खुदाई की जाए: शल्य न मिले तो खुदाई बंद की जाए, वरना कन्या से तीसरा अक्षरा माँगा जाए। हर बार शल्य मिलती जाए, तो नौ बार तक खुदाई करनी पड़ सकती है। __ खुदाई के बाद भी शल्य के रह जाने की शंका हो, तो भूमि की जल की सतह तक खुदाईकर शंका दूर कर लेनी चाहिए। यहाँ तक कि निर्माता के पास भी कोई शल्य पदार्थ हो, तो उसे भी दूर कर देना चाहिए।
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(जैन वास्तु-विधा)