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प्र० ५०-परमसारादि मे आलोचना उतारकर बताओ? प्र० ५१-परमसारादि मे प्रत्याख्यान उतारकर बताओ? प्र० ५२-परमसारादि मे सामायिक उतारकर बताओ? प्र० ५३-वीतराग-विज्ञानता कैसी है ? प्र० ५४-नमहं त्रियोग सम्हारिक का क्या अर्थ है? प्र० ५५-क्या मन-वचन-काय की सावधानी जीव कर सकता है? प्र० ५६-मन का कर्ता कौन है और कौन नहीं है ? प्र० ५७-वचन का कर्ता कौन है और कौन नही है ? प्र० ५८-काय का कर्ता कौन है और कौन नही है ? प्र० ५६-तुम कौन हो? प्र० ६०-तुम कौन नही हो ? प्र० ६१-तुम्हारा कार्य क्या है ? प्र० ६२-तुम दुःखी क्यो हो? प्र० ६३- तीन लोक मे कितने जीव है ? प्र० ६४-तीन लोक के जीव क्या चाहते है ? प्र० ६५-तीन लोक के जीव वया नही चाहते है। प्र० ६६-तीन लोक में कितने जीव है ! प्र० ६७-सुख किसे कहते है ? प्र० ६८-दु ख किसे कहते है ? प्र० ६९-दुःख का अभाव और सुख के प्राप्ति कैसे हो ?