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उनकी चाल मुझ जीव से भिन्न ही है। (७) मुझ निज आत्मा के अलावा विश्व मे अनन्तानन्त पुद्गल द्रव्य है-उनकी चाल मुझ जीव से भिन्न ही है। (८) मुझ निज आत्मा के अलावा विश्व मे धर्मअधर्म-आकाश एकेक द्रव्य है-उनकी चाल मुझ जीव से भिन्न ही है। (६) मुझ निज आत्मा के अलावा विश्व मे लोक प्रमाण असख्यात काल द्रव्य है-उनकी चाल मुझ जीव से भिन्न ही है। ऐसा निज जीवतत्व का स्वरुप जानते-मानते ही तत्काल मोक्षतत्व सम्बन्धी जीव की भूल रूप अगृहीत-गृहीत मिथ्यादर्शनादि का अभाव होकर सम्यग्दर्शनादि की प्राप्ति कर क्रम से पूर्ण सुखीपना प्रगट हो जाता है। यह एक मात्र मोक्षतत्व सम्बन्धी जीव की भूल रुप अगृहीतगृहोत मिथ्यादर्शनादि के अभाव का उपाय छहढाला की दूसरी ढाल मे बताया है।
प्रथम ढ़ाल की प्रश्नावली प्र० १-मंगल का अर्थ अस्ति-नास्ति से क्या है ? प्र० २-वीतराग-विज्ञानता कितने प्रकार की है ? प्र० ३-सम्यग्दर्शन प्राप्त करने का क्या उपाय है ? प्र० ४-वीतराग-विज्ञानता का एक नाम क्या है ? प्र० ५-वीतराग-विज्ञानता के दो नाम क्या हैं ? प्र० ६-चीतराग विज्ञानता के तीन नाम क्या है ? प्र०७-वीतराग-विज्ञानता के चार नाम क्या है ? प्र०८-वीतराग-विज्ञानता के पांच नाम क्या है ? प्र०६-वीतराग का क्या अर्थ है ?