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________________ (३२) दर्शनादि का अभाव करके ही बनते है। (३) ज्ञानियो को हेय-ज्ञेयउपादेय का ज्ञान वर्तत्ता है। (४) शरीर की उत्पत्ति से जीव का जन्म और शरीर के वियोग से जीव का मरण-ज्ञानियो के ऐसे कथन को आगम मे अनुपचरित असद्भूत व्यवहारनय कहा है। प्र० २६-मै बालक हूँ, मै जवान हूं-इस वाक्य पर अजीवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर २१ से २८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ३०-मै हल्का हूं, मै भारी हूं-इस वाक्य पर अजीवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर २१ से २८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ३१-मै काला हूँ, मै गोरा हूं। इस वाक्य पर अजीवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर २१ से २८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ३२-मुझे लकवा हो गया था, अब स्वस्थ हो गया-इस वाक्य पर अजीवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर २१ से २८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ३३-मुझे भूख लगी है, मुझे तृषा लगी है। इस वाक्य पर अजीवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए। उ०-प्रश्नोत्तर २१ से २८ तक के अनुसार उत्तर दो। प्र० ३४-मुझे सरदी लगती है, मुझे गरमी लगती है। इस वाक्य पर अजीवतत्त्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण कीजिए।
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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