________________ (13) सम्प्रदान, विस्तर अपादान, और जमीन अधिकरण-इसमे सभी कारक भिन्न-भिन्न होते है। यह निमित्त कारक असत्य है और ये सब उपचरित असद्भूत व्यवहारनय से कहे जा सकते है। प्र० ५-निमित्त कारण को ही कोई सत्य माने तो उन महानुभावो को जिनवाणी मे किस-किस नाम से सम्बोधन किया है ? उत्तर-जो आत्मा, रस्सी, वाजार, विस्तर, जमीन आदि निमित्त कारको से ही शरीर उठने रुप कार्य की उत्पत्ति मानते है / (1) उन्हे प्रवचनसार कलश 55 मे कहा है कि वह पद-पद पर धोखा खाता है। (2) उन्हे समयसार कलश 55 मे कहा है कि उनका सुलटना दुनिवार है और यह उनका अज्ञान मोह अन्धकार है। (3) उन्हे पुरुषार्थ सिद्धियुपाय गाथा 6 मे कहा है कि तस्य देशना नास्ति / (4) उन्हे आत्मावलोकन मे कहा है कि यह उनका हरामजादीपना प्र०६-आहारवर्गणा त्रिकाली उपादान कारक और शरीर उठने रुप कार्य उपादेय / इसको समझने से क्या लाभ रहा " / __उत्तर-(१) आत्मा, रस्सी, बाजार, विस्तर, जमीन आदि निमित्त कारको से गरीर के उठने रुप कार्य हुआ, ऐसी खोटी मान्यता का अभाव हो जाता है। (2) गरीर के उठने रुप कार्य के लिए आहार वर्गणा को छोडकर दूसरी वर्गणाओ से दृप्टि हट जाती है। (3) अव यहा पर उठने रुप कार्य के लिए एक मात्र आहारवर्गणा की तरफ देखना रहा। प्र०-मै उठा-इस वाक्य पर आहारवर्गणा त्रिकाली उपादान कारक की अपेक्षा छह कारक लगाकर समझाइये। . उत्तर-गरीर उठा-यह कार्य है और कार्य पर से छह प्रश्न उटते