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( २१२ ) यह भोक्तृत्व गुण बताता है । और (२) पर की अवस्था का भोक्ता नही हो सकता है वह अभोक्तृत्व गुण बताता है।
प्र० २३५-- भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व सामान्य गुण के कारण जीव किसका भोक्ता है और किसका भोक्ता नही है ?
उत्तर-(१) अज्ञान दशा मे जीव हर्ष-विपादरुप अर्थात सुख दुख विकारी भावो का भोगता है, विकारी भावो के निमित्तरुप द्रव्यकर्मनोकर्म का भोक्ता सर्वथा नहीं है। (२) साधक दशा मे अतीन्द्रिय सुख का अशत भोक्ता है। (३) केवलज्ञानादि होने पर परिपूर्ण सुख का भोक्ता है । (४) जीव पुद्गल कर्मों के अनुभाग का या पर पदार्थो का भोक्ता किसी भी अपेक्षा नही है।
प्र० २३६-जीव अत्यन्त भिन्न पर पदार्थो का भोक्ता है-ऐसा किस अपेक्षा से कहा जाता है।
उत्तर-उपचरित असद्भूत व्यवहारनय से कहा जाता है, वास्तव मे भोक्ता है नहीं।
प्र० २३७-जीव उपचरित असदभूत व्यवहारनय से अत्यन्त भिन्न पर पदार्थो का भोक्ता है-इस वाक्य पर निश्चय-व्यवहार के दस प्रश्नोत्तरो को समझाइये ?
उत्तर-प्रश्नोत्तर १९८ से २०७ तक के अनुमार स्वय प्रश्नोतर बनाकर दो।
प्र० २३८-जीव औदारिक आदि शरीर, पाच इन्द्रियो का तथा आठ द्रव्य कर्मों का भोक्ता किस अपेक्षा कहा जाता है ?
उत्तर-अनुपचारित असद्भूत व्यवहारनय से कहा जाता है, वास्तव मे भोक्ता है नहीं।
प्र० २३६-जब जीव अत्यन्त भिन्न पर पदार्थ, शरीर इन्द्रिया तथा द्रव्यकों का भोक्ता सर्वथा नही है तब आगम मे उनका भोक्ता क्या कहा जाता है ?
उत्तर-जीव का भाव उस समय निमित्त होने से इनका भोत्ता