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( २११ ) प्र० २३०-कर्ता अधिकार का सार क्या है ?
उत्तर-नित्य-निरजन-निष्क्रिय-निजात्म त्रिकाली द्रव्य का आश्रय लेकर पर्याय मे शुद्ध भावो का कर्ता बने ।
प्र० २३१-कुम्हार ने घडा बनाया-इस वाक्य पर निमित्त की परिभाषा लगाकर समझाइये?
उत्तर-कुम्हार स्वय स्वत घडा रुप न परिणमे, परन्तु घडे की उत्पत्ति मे अनुकूल होने का जिस पर आरोप आ सके उस कुम्हार को निमित्त कारण कहते है। प्र० २३२-कुम्हार ने घडा बनाया-निमित्त-नैमित्तिक समझाइये?
उत्तर-मिट्टी जब स्वय स्वत घडे रुप परिणमित होती है तब कुम्हार के राग का निमित्त का घडे के साथ सम्बन्ध है यह बतलाने के लिये घडे को नैमित्तिक कहते है। इस प्रकार कुम्हार का राग, घडे के स्वतत्र सम्बन्ध को निमित्त-नैमित्तिक सम्बन्ध कहते है।
भोक्तृत्व अधिकार ववहारा सुह दुक्ख पुग्गलकम्मप्फल पभु जेदि ।
आदा णिच्चयणयदो चेदणभाव खु पादस्स ।। ६ ॥ अर्थ – (व्यवहारा) व्यवहारनय से (आदा) आत्मा (सुह दुक्ख) सुख-दुख रुप पुद्गल कर्म के फल का भोगता है। और (णिच्चयणयदो) निश्चयनय से (खु) नियम पूर्वक (आदस्स) आत्मा के (चेदणभाव) चैतन्य भावो का भोगता है।
प्र० २३३-भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व क्या है ?
उत्तर-छहो द्रव्यो के सामान्य गुण है, क्योकि यह सब द्रव्यो मे पाये जाते है।
१० २३४-भोक्तृत्व-अभोक्तृत्व सामान्य गुण क्या बताते है ? उत्तर-(१) प्रत्येक द्रव्य अपनी-अपनी अवस्था का भोगता है