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________________ जैन सिद्धांत प्रवेश रत्नमाला आठवें भाग की विषय-सूची विपय-सूची पृष्ठ से पृष्ट तक 1 ___ 1 ___ v 1x XI11 शुद्ध आत्मदेव स्तुति (नित्य मनन योग्य) स्ठी जवानी ६५ अनमोल रत्न जीव-पुदगल-उभयवन्ध का स्पष्टीकरण छह सामान्य गुण चार अभावो का स्पष्टीकरण छह कार को का स्पष्टीकरण २१ २७ हा ४० rm" ४७ . 6 ५३ w ५८ m [ पहली-दूसरी-तीसरी ढाल के माध्यम से जीवतत्व सम्बन्धी जीव को भूल का स्पष्टीकरण अजीवतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण आस्रवतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण वन्धतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण सबरतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण निर्जरातत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण मोक्षतत्व सम्बन्धी जीव की भूल का स्पष्टीकरण [ छहढाला की दूसरी ढाल के माध्यम से ] ससार और मोक्ष क्या है ? अगृहीत-गृहीत मिथ्यादर्शनादि का स्वरूप 'ताको न जान विपरीत मान' का स्पष्टीकरण जीवतत्व सम्बन्धी जीव की भूलरूप अगृहीत-गृहीत मिथ्यात्व का वर्णन अजीवतत्व सम्बन्धी जीव की भूलरूप अगृहीत-गृहीत मिथ्यात्व का वर्णन । । , आस्रवतत्व सम्बन्धी जीव की भूल रूप. अगृहीत-गृहीत मिथ्यात्व का वर्णन . ७० ७३
SR No.010123
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages319
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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