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प्र० ६० - व्यवहारनय किसको कहते है ?
उत्तर - किमी निमित्त कारण से एक पदार्थ को दूसरे पदार्थ रूप जानने वाले ज्ञान को व्यवहारनय कहते है को घी रहने के निमित्त से घी का घडा कहना ।
। जैसे- मिट्टी के घडे
प्र० ६१ - व्यवहारनय के कितने भेद है ?
उत्तर-- दो भेद है-- सद्भूत व्यवहारनय और असद्भूत व्यवहारनय |
प्र. ६२ - सद्भूत व्यवहारनय किसको कहते है ?
उत्तर - जो एक पदार्थ मे गुण-गुणी को भेद रुप ग्रहण करे - उसे सद्भूत व्यवहारनय कहते है ।
प्र ० ६३ - सद्भूत व्यवहारनय के कितने भेद है ?
उत्तर- दो भेद है। उपचरित सद्भुत व्यवहारनय और अनुपचरित मद्भुत व्यवहारनय ।
प्र ० ६४ - उपचरित सद्भूत व्यवहारनय किसे कहते है ?
उत्तर- जो उपाधि सहित गुण-गुणी को भेदरुप से ग्रहण करे - उसे उपचरित मद्भूत व्यवहारनय कहते है । जैसे ससारी जीव के मतिज्ञानादि पर्याय और नर-नारकादि पर्याये ।
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प्र० ६५ - अनुपचरित सद्भूत व्यवहारनय किसे कहते है उत्तर- जो नय निरुपाधिक गुण गुणी को भेद रुप ग्रहण करे - उसे अनुपचरित सद्भुत व्यवहारनय कहते है । जैसे जीव के केवलज्ञानकेवलदर्शन ।
प्र. ६६ - असद्भूत व्यवहारनय किसे कहते है ?
उत्तर - जो मिले हुये भिन्न पदार्थों को अभेदरूप से कथन करे - उसे असद्भुत व्यवहारनय कहते है । जैसे यह शरीर मेरा है । प्र० ६७ - असद्भूत व्यवहारनय के कितने भेद है' उत्तर--दो भेद है । उपचरित असद्भूत व्यवहारनय और
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