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प्र० ३७ - नमस्कार कितने है
उत्तर - पाच है - ( १ ) शक्ति रुप नमस्कार, (२) एकदेश भाव नमस्कार, (३) द्रव्य नमस्कार, (४) जड नमस्कार, (५) पूर्ण भाव
नमस्कार ।
प्र० ३८- इन पांच नमस्कार को थोडे में समझाइये ?
उत्तर- (१) शक्ति रुप नमस्कार के आश्रय से ही एकदेश भाव नमस्कार प्रगट होता है । (२) एक देग भाव नमस्कार के साथ अपनी-अपनी भूमिका अनुसार साधक धर्मी जीव को जो राग होता है वह द्रव्य नमस्कार पुण्य वध का कारण है । ( ३ ) द्रव्य नमस्कार के साथ शरीरादि की क्रियाओं को जड नमस्कार व्यवहार का व्यवहार कहा जाता है । ( ४ ) शक्ति रुप नमस्कार का परिपूर्ण आश्रय लेने से नमस्कार का फल पूर्ण भाव नमस्कार प्रगट होता है । प्र० ३६ - द्रव्य नमस्कार कौन से गुण स्थान तक होता है ? उत्तर - चौथे गुण स्थान से लेकर छट्टो गुण स्थान तक होता है। प्र० ४० - जिनेन्द्र भगवान को कौन नमस्कार कर सकता है।
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उत्तर - साधक धर्मी जीव ही नमस्कार कर सकता है। अज्ञानी मिथ्यादृष्टि भगवान को नमस्कार नही कर सकता है, क्यो कि अज्ञानी को भाव नमस्कार की प्राप्ति नही है ॥ १ ॥
जीवद्रव्य के नौ अधिकार
जीवो उवोगमो अमूत्ति कत्ता सदेह परिणामो । भोक्ता ससारत्यो सिद्धो सो विस्ससोड्ढगई || २ ||
अर्थ - इस गाथा मे जीव के नौ अधिकारो के नाम दिये गये है । वह जीव (१) प्राणो से जीता है, (२) उपयोगमय है, (३) अमूर्ति है, (४) कर्ता है, (५) भोक्ता है, (६) स्वदेह परिमाण है, (७) ससारी है, (८) सिद्ध है, (६) स्वभाव से उर्ध्वगमन करने वाला हैं ॥ २ ॥