________________
( १०३ )
उत्तर - अनन्त ज्ञानियों का एक मत है - यह पता चल जाता है ।
प्र०४१ - जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित, 'जीवतत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' को सुनकर ज्ञानी क्या जानते है और क्या करते है ?
उत्तर- केवली के समान 'जीवतत्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान करते है, केवली व ज्ञानी के जानने मे मात्र प्रत्यक्ष - परोक्ष का अन्तर रहता है। ज्ञानी निज ज्ञान-दर्शन उपयोगमयी जीवतत्व मे विशेष एकाग्रता करके परमात्मा वन जाते है ।
प्र० ४२ - जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित 'जीवतत्त्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' सुनकर सम्यक्त्व के सम्मुख पात्र भव्य मिथ्यादृष्टि जीव क्या जानते है और क्या करते है ?
उत्तर - अहो अहो | जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो द्वारा कथित, 'जीवतत्त्व का ज्यो का त्यो' श्रद्धान' महान उपकारी है, मुझे तो इसका पता ही नही था । ऐसा विचार कर निज ज्ञान-दर्शन उपयोगी जीवतत्त्व का आश्रय लेकर बहिरात्मपने का अभावकर अन्तरात्मा बनकर ज्ञानी की तरह विशेष एकाग्रता करके परमात्मा बन जाते है ।
प्र० ४३ - जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित 'जीवतत्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' सुनकर दीर्घ संसारी मिथ्यादृष्टि क्या जानते है और करते है ?
उत्तर- जिन-जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित, 'जीवतत्व का ज्यो का त्यो श्रद्धान' का विरोध करते है और मिथ्यात्व की पुष्टि करके चारो गतियो मे घूमते हुए निगोद मे चले जाते है ।
,