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चाहे
छही भ्रात से कहा वैद्य ने जो पानी पो जायेगा, वो तुरन्त मरजाय किन्तु भ्राता जिन्दा हो जायेगा ॥ १४ ॥ सूख गए सुन प्राण छहो के हमसे हम न पियेंगे हरगिज पानी इसी प्रकार भावजे भी नट गई हम क्यो खोवे प्राण फायदा क्या अब बारी नारी की आई आई तू मरजा जल पीकर के, पति बिना तू राड अकेली कहा करेगी जी करके । वोली नारि राड रहकर के ही मै समय बिताऊँगी, पति मरैया जिये मुझे क्या जब मै ही मर जाऊँगी ॥१६॥
तुमको सुत जीवे पुत्र
अति प्यारा है, तुम्हारा है ।
हमे कुछ गम, राजी कर लेगे हम | मर जाये तो राजी हो अच्छे बाबा जी हो ॥ १८ ॥
तुम
माता पिता से कहा वैद्य ने तुम्ही मरो अब पीकर पानी बहुत जमाना देख लिया अब कहा करोगे जी करके, किन्तु साफ नट गये वैद्य जी हम न मरे जल पीकर के ॥ १७ ॥ एक पुत्र मरता है तो मर जाने दो न वेटो को देख-देखकर जी बोले वैद्य हमी जल पीकर हाँ हाँ हाँ हाँ कहा सभी ने मुस्कराय कर बाबा जी ने हाथ उठकर देख अरे लडके अब उठ कर बैठ गया लडका घर वालो को धिक्कारा है, सभी मतलबी हो घर वाले झूठा प्यार तुम्हारा है ॥ १६ ॥ झूठी दुनियाँ दिखलाकर के साधु तो जाते हैं, लडका भी हो लिया साथ तव घर वाले पछताते है । ये दृष्टान्त सभी ससारी जन को ये सिखलाता है, भैय्या सब सुख के साथी दुख मे कोई काम न आता है ॥२०॥
को
मरा नही जाता, मरो जियो भ्राता ।
छहो जल पीने से, देवर के जीने से ॥ १५ ॥
पुत्र पर फेरा है,
दुनिया मे तेरा है ।
न