________________ ( 310 ) मोक्षतत्त्व प्रश्न १-अज्ञानी मोक्ष तत्व के विषय में कैसा मानता है ? उत्तर-आत्मा की परिपूर्ण शुद्धदशा का प्रगट होना मोक्षतत्व है। उसमे आकुलता का अभाव है, पूर्ण स्वाधीन निराकुल सुख है। परन्तु अज्ञानी ऐसा न मानकर शरीर के मौज-शौक मे ही सुख मानता है / प्रश्न २-मोक्ष में पूर्ण निराकुल सुख है ऐसा न मानकर शरीर के मौज-शोक में ही सुख मानने रप मान्यता को छहढाला की प्रथम ढाल में क्या बताया है? उत्तर-"मोह महामद पियो अनादि" मोहरूपी महा मदिरापान बताया है। प्रश्न ३-मोक्ष मे पूर्ण निराकुल सुख है, ऐसा न मानकर शरीर के मौज-शौक में ही सुख मानने रूप मान्यता का फल छहढाला की प्रथम दाल में क्या बताया है ? उत्तर-चारो गतियो मे घूमकर निगोद इस खोटी मान्यता का फल बताया है। प्रश्न ४-मोक्ष में पूर्ण निराकुल सुख है, ऐसा न मानकर शरीर के मौज-शौक मे ही सुख मानने रूप मान्यता का फल चारो गतियों में घूमकर निगोद क्यो बताया है ? उत्तर-मोक्ष मे आकुलता का अभाव है और पूर्ण स्वाधीन निराकुल सुख है। परन्तु अज्ञानी ऐसा न मानकर शरीर के मौज-शौक में ही सुख मानने का फल चारो गतियो मे घूमकर निगोद बताया है। प्रश्न ५-मोक्ष में पूर्ण निराकुल सुख है ऐसा न मानकर शरीर के में क्या-क्या बताया है ? उत्तर-(१) मोक्ष मे पूर्ण निराकुल सुख है, ऐसा न मानकर शरीर के मौज-शौक मे ही सुख मानने रूप मान्यता को मोक्षतत्व