________________ ( 304 ) प्रश्न ३-निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान वैराग्य को कष्टदाता मानने रूप खोटी मान्यता का फल छहढाला की प्रथम ढ़ाल में क्या बताया है? उत्तर-चारो गतियो मे घूमकर निगोद, इस खोटी मान्यता का “फल बताया है। प्रश्न ४-निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-वैराग्य को कष्टदाता मनिने रूप खोटी मान्यता का फल छहढाला की प्रथम ढाल में चारों गतियों में धमकर निगोद क्यो बताया है ? उत्तर-निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-चारित्र ही जीव को हितकारी है। स्वरूप मे स्थिरता रूप वैराग्य सुख का कारण है परन्तु अज्ञानी इसे कष्टदाता मानने के कारण ऐसी मान्यता का फल चारो गतियो मे घमकर निगोद बताया है। प्रश्न ५-निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-वैराग्य को कष्टदाता मानने रूप खोटी मान्यता को छहढाला की दूसरी ढाल में क्या क्या बताया - उत्तर-(१) निश्चय सम्यकदर्शन जान-वैराग्य को कष्टदाता मानने रूप मान्यता को सवरतत्व सम्वन्धी जीव की भूल बताया है / (2) निश्चय सम्यकदर्शन ज्ञान वैराग्य को कष्टदाता मानने रूप मान्यता को अनादिकाल से एक-एक समय करके चला आ रहा होने से ऐसे श्रद्धान को अगृहीत मिथ्यादर्शन बताया है। (3) निश्चय सम्यक् दर्शन ज्ञान-वैराग्य को कष्टदाता मानने रूप मान्यता को अनादिकाल से एक-एक समय करके चला आ रहा होने से ऐसे ज्ञान को अगृहीत मिथ्याज्ञान बताया है। (4) निश्चय सम्यकदर्शन-ज्ञान-वैराग्य -का कष्टदाता मानने रूप मान्यता को अनादिकाल से एक-एक समय करके चला आ रहा होने से ऐसे आचरण को अगृहीत मिथ्याचारित्र -बताया है। (5) वर्तमान में विशेष रूप से मनुष्यभव व दिगवर धर्म होने पर भी कुदेव, कुगुरु, कुशास्त्र का उपदेश मानने से निश्चय