________________ ( 301 ) उउर-"मोह महामद पियो अनादि" मोहरूपी महा मदिरापान प्रताया है। प्रश्न ३-पुण्यबन्ध को अच्छा मानने रूप खोटी मान्यता को छहदाला की प्रथम ढाल में क्या बताया है ? उत्तर-चारो गतियो मे घूमकर निगोद-इस खोटी मान्यता का फल बताया है। प्रश्न ४-पुण्यबन्ध को अच्छा मानने रूप खोटी मान्यता का फल छहढाला को प्रथम ढाल में चारो गतियो में घूम कर निगोद क्यों बताया है ? उत्तर-आत्मा का स्वभाव वीतराग-विज्ञान रूप अबन्ध स्वभावी है और पुण्य-पाप दोनो बधरूप ही है / परन्तु अज्ञानी ऐसा न मानकर पुण्यवध को अच्छा मानने के कारण, इस खोटी मान्यता का फल चारो गतियो मे घूमकर निगोद बताया है / प्रश्न ५-पुण्यबन्ध को अच्छा मानने रूप-खोटी मान्यता की छहडाला की दूसरी ढाल में क्या-क्या बताया है ? उत्तर-(१) पुण्यबन्ध को अच्छा मानने रूप, मान्यता को बन्धतत्व सम्बन्धी जीव की भूल बताया है। (2) पुण्यबन्ध को अच्छा मानने रूप-मान्यता को अनादिकाल से एक-एक समय करके चला आ रहा होने से ऐसे श्रद्धान को अगृहीत मिथ्यादर्शन बताया है। (3) पुण्यवध को अच्छा मानने रूप-मान्यता को अनादिकाल से एक-एक समय करके चला आ रहा होने से ऐसे ज्ञान को अगृहीत मिथ्याज्ञान बताया है / (4) पुण्यवव को अच्छा मानने रूप, मान्यता को अनादिकाल से एक-एक समय करके चला आ रहा होने से ऐसे आचरण को अगृहीत मिथ्या चारित्र बताया है / (5) वर्तमान में विशेष रूप से मनुष्य भव व दिगम्बर धर्म होने पर भी कुदेव कुगुरु-कुशास्त्र का उपदेश मानने से पुण्यबन्ध को अच्छा मानने रूप, ऐसा अनादिकाल का श्रद्धान विशेष दृढ होने से ऐसे श्रद्धान को गृहीत मिथ्यादर्शन