________________ ( 287 क्षयोपशम तो सर्व पंचेन्द्रिय जीवो के हुआ है क्या उन सब को क्षयोपशम लब्धि की प्राप्ति नहीं हैं ? __उत्तर-प्रयोजनभूत जीवादि तत्वो का श्रद्धान करने योग्य क्षयोपशम तो पचेन्द्रिय सर्व जीवो के प्रगट हुआ है। परन्तु उस क्षयोपशम को सामारिक प्रयोजन मे, दवाखाना खोलने मे, देश की सेवा मे, जीवो की दया पालने मे, व्रतादि पालने मे लगावे उसको क्षयोपशम लब्धि की प्राप्ति नही है। परन्तु जैसा अनादि से सच्चे देव-गुरु-शास्त्र कहते हैं उसी प्रकार तत्व का विचार करे अन्य प्रकार की बात ध्यान मे। ना लावे तब उसे क्षयोपशम लब्धि की प्राप्ति कही जा सकती है / प्रश्न ५-विशुद्धि लब्धि क्या है ? उत्तर-मोह का मन्द उदय आने से मन्द कषायरूप भाव हो जहाँ तत्व विचार हो सके सो विशुद्धि लब्धि है। प्रश्न ६-विशुद्धि लब्धि में उपावान और निमित्त क्या है ? उत्तर-सक्लेश की हानि, विशुद्धि की (शुभभाव की) वृद्धि उपादान कारण है और अशुभ कर्म का अनुभाग घटना निमित्त है। प्रश्न ६-विशुद्धि लब्धि क्या बताती हैं ? उत्तर-तत्व के विचार मे ज्ञान का विकाश हुआ हो तब राग की दशा कैसी होती है ? अर्थात् कषाय वहुत मन्द होती है यह विशुद्धि लब्धि बताती है। प्रश्न --देशनालब्धि क्या है ? उत्तर-जिन देव के उपदिष्ट तत्व का धारण हो, विचार हो, सो देशनाल ब्धि है। प्रश्न :-देशनालब्धि में उपादान और निमित्त क्या है। उत्तर-उपदेशित नो पदार्थों की धारणा होना उपादान कारण है और ज्ञानी गुरु निमित्त कारण है / प्रश्न १०-देशनालब्धि क्या बताती है ? उत्तर-जिसको तत्व विचाररूप क्षयोपशम, मन्दकपायरूप अवस्था