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ही इकलौता लड़का श्यामसुन्दर था। उनके पास १० लाख रुपया नकद था। सेठ जी ने श्यामसुन्दर को बुलाकर कहा, देखो बेटा श्याम सुन्दर हमारे पास १० लाख रुपया नकद है वाकी जेवर-दुकान-मकान है ही। तुम तमाम उम्र कुछ न करो तो भी यह रुपया समाप्त ना होगा। इसका बैक सूद ही इतना बैठता है कि तुम रुपए-पैसो की तरफ से दुखी ना रहोगे । लेकिन तुम याद रखना कि तुम किसी भी प्रकार का व्यापार ना करना । लडके ने पिताजी के सामने तो हाँ करली । लेकिन बाद मे उसने विचारा यह रुपया तो पिताजी का कमाया हुआ है, मुझे स्वय भी कमाना चाहिए। ऐसा विचार कर सट्टे का काम किया। उसमे जल्दी ही ५ लाख रुपया का घाटा हो गया। अब रुपया देने को चाहिए, यदि ना दिया जावे तो सात दिन बाद दिवाला करार दे दिया जाता था। चार दिन तो जैसे तैसे वीत गये । पांचवे दिन श्यामसुन्दर ने अपने पिताजी के मित्र से कहा, चाचाजी, मैने पिताजी के मने करने पर भी सट्टे का काम किया उसके ५ लाख रुपया का घाटा हो गया। पिताजी को पता चलेगा, वह मुझे मारेगे और घर से बाहर निकाल देंगे। अब आप किसी प्रकार कृपा करके पिताजी से यह रुपया दिलवाओ। वह मित्र उसके पिताजी के पास गया और कहा, कि श्यामसुन्दर ने सट्टे में ५ लाख रुपया का घाटा दे दिया है। यह सुनते ही सेठजी आपे से बाहर हो गये और कहा मैंने तो उसे व्यापार करने की मनाही की थी। उसने व्यापार क्यो किया ? मै ५ लाख रुपया नही दंगा, चाहे वह पकडा जावेमर जावे । मैं तो अब उसका मुह भी देखना नही चाहता।
मित्र ने कहा कल १२ बजे तक ५ लाख रुपया ना दोगे तो श्याम सुन्दर जहर खाकर मर जावेगा फिर मित्र ने कहा जरा विचारो । तुम्हारी उम्र ८० वर्ष की हो गयो । अब दो चार साल ही जीना है। परलोक मे रुपया साथ जावेगा नही। सब रुपया आपने उसी को दे देना ही तो था। उसने उसमे से ५ लाख रुपया खो दिया। उसमे