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________________ प्रश्न १६-पंचम काल मे इन पाच मोक्षों में से कौन-कौनसे मोक्ष प्राप्त हो सकते हैं। ऐसे जीवो के नाम बताओ, जिनको इनकी प्राप्ति हुई हो? उत्तर-पचम काल मे दृष्टि मोक्ष ही पर्याय मे प्रगट हो सकता है। (१) क्योकि (१) शक्ति-मोक्ष तो प्राणी मात्र के पास हैं । (२) दृष्टि-मोक्ष प्राप्त पचम काल मे कुन्दकुन्द भगवान, अमृतचन्द्राचार्य, समन्तभद्राचार्य, धरसेनाचार्य, रविषेणाचार्य, प टोडरमल जी, राजमल जी, दीपचन्द्र जी, दौलतराम कानजी स्वामी आदि हो चुके है। और जीव भी दृष्टि मोक्ष प्राप्त विचरते है। ऐसा पात्र भव्य जीव जानते प्रश्न २०-पंचम फाल में दृष्टि मोक्ष की ही प्राप्ति हो सकती है। ऐसा कहीं शास्त्रों में उल्लेख है ? उत्तर-(१) भगवान कुन्दकुन्द ने मोक्ष पाहुड गा० ७७ मे कहा है कि "अभी इस पचमकाल मे भी जो मुनि सम्यकदर्शन-ज्ञान-चारित्र की शुद्धता युक्त होते है । वे आत्मा का ध्यान कर इन्द्र पद अथवा लौकान्तिक देव पद को प्राप्त करते हैं और वहाँ से चय कर निर्वाण को प्राप्त होते है ।" (२) आचार्यकल्प ५० टोडरमल जी ने आठवें अधिकार मे लिखा है कि "यह काल साक्षात् मोक्ष न होने की अपेक्षा निकृष्ट है, आत्मानुभवनादिक द्वारा सम्यक्त्वादिक होना इस काल मे मना नही हैं, इसलिए आत्मानुभवनादिक के अर्थ द्रव्यानुयोग का अवश्य अभ्यास करना।" (३) कार्तिकेयानुप्रेक्षा के धर्मानुपेक्षा भावना मे गाथा ४८७ की टीका मे बताया है कि "इस काल मे शुक्ल ध्यान तो नहीं होता, किन्तु धर्मध्यान होता है" तथा मोक्ष प्राभूत का हवाला दिया है। धर्मध्यान शुद्ध भाव है । यह चौथे गुणस्थान से सातवे गुणस्थान तक होता है। प्रश्न २१-कोई कहे, हमको तो दृष्टि मोक्ष वाले जीव भी कहीं दिखाई नहीं देते हैं ?
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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