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________________ ( ६० ) नहीं होता ? उत्तर - जो जीव पचमकाल मे उत्पन्न होगा, वह जीव इतना तीव्र पुरुषार्थ नही कर सकेगा कि वह दृष्टिमोक्ष को छोडकर मोह मुक्त मोक्ष, जीवनमुक्त मोक्ष और विदेह मोक्ष को प्राप्त कर सके । ऐसा केवलज्ञानी के ज्ञान मे आया है इस अपेक्षा अर्थात् तीव्र पुरुषार्थ ना करने की अपेक्षा पंचमकाल मे मोक्ष नही होता है इसलिए ऐसा शास्त्रो मे लिखा है । प्रश्न १६ - या मोक्ष कई प्रकार के होते हैं ? उत्तर- मोक्ष पाँच प्रकार के हैं, (१) शक्तिरूप मोक्ष, (२) दृष्टि मोक्ष, (३) माह मुक्त मोक्ष, (४) जीवन मुक्त मोक्ष, (५) विदेह मोक्ष | प्रश्न १७ - इन पाँच मोक्ष को गुणस्थान की अपेक्षा समझाओ ? उत्तर - (१) शक्तिरूप मोक्ष तो निगोद से लेकर सिद्धदशा तक प्रत्येक जीव के पास अनादिअनन्त है । ( २) दृष्टिमोक्ष शक्ति रूप मोक्ष का आश्रय लेने से चौथे गुणस्थान मे प्रकट होता है । (३) शक्तिरूप मोक्ष मे विशेष एकाग्रता करने से दृष्टिमोक्ष के पश्चात् १२वे गुणस्थान मे मोह मुक्त मोक्ष प्रकट होता है । ( ४ ) जीवन मुक्त मोक्ष १३, १४ वे गुणस्थान मे प्रकट होता है । (५) विदेहमोक्ष १४वें गुणस्थान से पार सिद्ध दशा मे प्रकट होता है । 4 प्रश्न १८ - सव मोक्ष किसके आश्रय से प्रगट होते है ? उत्तर - एक मात्र शक्तिरूप मोक्ष के आश्रय से ही चारो प्रकार के मोक्ष पर्याय मे प्रगट होते है । इसलिए शक्तिरूप मोक्ष का आश्रय लिए बिना दृष्टिमोक्ष का प्राप्ति नही होती है । (२) दृष्टिमोक्ष प्राप्त किये बिना मोह मुक्तमोक्ष की प्राप्ति नही होती है । ( ३ ) मोह मुक्त मोक्ष प्राप्त किये बिना जीवन मुक्त मोक्ष की प्राप्ति नही होती है । (४) जीवन मुक्त मोक्ष प्राप्त किये बिना विदेह मोक्ष की प्राप्ति नही होती है । यह जिन जिनवर और जिनवर वृषभो से कथित अनादिअनन्त नियम है ।
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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