________________
( ५४ )
चतुर्थ प्रकरण समयसार गाथा ३६० ते ४०४ तक का रहस्य भगवान आत्मा की छह बोलो से सिद्धि
भगवान आत्मा पर द्रव्यो से भिन्न स्वभावी है । प्रश्न १-भगवान आत्मा पर द्रव्यो से भिन्न है। उसके लिए कुन्द-कुन्द भगवान ने समयसार गाथा ३६० से ४०४ तक मे क्या बताया है ? उत्तररे ! शास्त्र है नहि ज्ञान, क्योकि शास्त्र कुछ जाने नहीं। इस हेतु से है ज्ञान अन्य रू, शास्त्र अन्य प्रभु कहे ॥३६०॥ रे! शब्द है नहिं ज्ञान क्योकि शब्द कुछ जाने नहीं। इस हेतु से है ज्ञान अन्य रू, शब्द अन्य प्रनू कहे ॥३६१॥ रे! रूप है नहिं ज्ञान, क्योकि रूप कुछ जाने नहीं। इस हेतु से है ज्ञान अन्य रू रूप अन्य प्रभु कहे ॥३६२॥ रे ! वर्ण है नहिं ज्ञान क्योकि वर्ण कुछ जाने नहीं। इस हेतु से है ज्ञान, अन्य रू, वर्ण अन्य प्रमू कहे ॥३६॥ रे गंध है नहिं ज्ञान, क्योकि गंध कुछ जाने नहीं। इस हेतु से है ज्ञान, अन्य रू, गंध अन्य प्रभू कहे ॥३९४ । रे रस नहीं है ज्ञान क्योकि रस जु कुछ जाने नही। इस हेतु से है ज्ञान अन्य रू अन्य रस जिनवर कहे ॥३६॥ रे स्पर्श है नहिं ज्ञान, क्योंकि स्पर्श कुछ जाने नहीं। इस हेतु से है ज्ञान अन्य रू, स्पर्श अन्य प्रभू कहे ॥३६६॥