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( २६ ) तिहाई बीतने पर दूसरी दफे, फिर दो तिहाई बीतने पर तीसरी दफे, इस तरह दो तिहाई समय के पीछे आठ दफे ऐसा अवसर आता है। यदि इनमे भी नही वधे, तो मरने के अन्तर्मुहर्त पहले तो आयु बघती ही है । यदि अपने परिणाम मे कुछ सुधार-बिगाड हो जावे तो पहली बधी हुई आयु की स्थिति कम व अधिक हो सकती है। जैसे किसी की आयु ८१ वर्ष की है तो--(१) ५४ वर्ष बीतने पर-२७ वर्ष शेष रहने पर, (२) ७२ वर्ष बीतने पर-६ वर्ष शेष रहने पर, (३) ७८ वर्ष बीतने पर=३ वर्ष शेष रहने पर, (४) ८० वर्ष बीतने पर - १ वर्ष शेष रहने पर, (५) ८० वर्ष ८ मास बीतने पर=४ मास शेष रहने पर; (६) ८० वर्ष १० मास, २० दिन बीतने पर=४० दिन शेष रहने पर, (७) ८० वर्ष, ११ मास, १६ दिन १६ घटे बीतने पर-१३ दिन ८ घण्टे शेष रहने पर, (८) ८० वर्ष ११ मास, २५ दिन १३ घण्टे २० मिनट बीतने पर४ दिन १० घण्टे, ४० मिनट शेष रहने पर आयु का बघ होता है।
प्रश्न ५--आठ विभागों में से एक विभाग में ही बंध क्यों होता है बाली विभागो में आयु का बंध क्यों नही होता है ?
उत्तर-गोमट्टसार जीव काण्ड गाथा ५१८ मे लिखा है कि आयु का वध मध्यम परिणामो से होता है। उत्कृष्ट-जघन्य परिणामो से आयु का बध नही होता है। अत आयुवध के विभागों के समय में उत्कृष्टजघन्य परिणाम होने से आयु का बध नही होता है । ऐसा जानना।
प्रश्न ६-एक भव कितने समय का है ?
उत्तर-अरे भाई । वास्तव मे एक-एक समय का एक-एक भव है।
प्रश्न ७-एक-एक समयका एक-एक भव है। यह कहाँ लिखा है और एक-एक समय का भव किस प्रकार है ?
उत्तर-भगवान कुन्दकुन्द स्वामी ने भावपाहुड गाथा ३२ को टीका मे अवीचिकामरण के लिये लिखा है कि "आयुकर्म का उदय