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द्वितीय प्रकरण
गोम्मट्ट सार जीव काण्ड कर्मकाण्ड का रहस्य "जैसी मति वैसी गति, जैसी गति वैसी मति"
प्रश्न १- भविष्य की आयु बध का चित्रामण किसके हाथ मे है ? उत्तर - अरे भाई तेरे हाथ में है । यदि बध समय जीव चेते और उदय समय उस पर दृष्टि ना दे तो कल्याण हो जावे ।
प्रश्न २ - पर्याय में कोई निगोदिया है; कोई सॉप हैं; कोई गधा है, कोई कुत्ता है; कोई मेढक है; कोई बकरा है; ऐसा क्यो है ?
उत्तर - जैसा जैसा कार्य होता है उसका वैसा का वैसा निमित्त कारण भी होता है। जैसे -- किसी जीव ने पहिले भव मे फु-फॉ का भाव किया, तो वर्तमान मे साँप का निमित्त कारण मिला । उसी प्रकार सब जानना ।
प्रश्न ३ - समयसार कलश १६८ मे श्री राजमलजी ने इस विषय में क्या बताया है ?
उत्तर- जिस जीव ने अपने विशुद्ध अथवा सक्लेशरूप परिणाम के द्वारा पहले ही बाँधा है जो आयु-कर्म अथवा साता कर्म अथवा असाताकर्म, उस कर्म के उदय से उस जीव को मरण अथवा जीवन अथवा दुःख अथवा सुख होता है ऐसा निश्चय है । इस बात में धोखा कुछ नही ।
प्रश्न ४ - भविष्य की आयु का बंध कब और कैसे होता है ?
उत्तर - मनुष्यों के लिए यह नियम है कि जितनी भोगने वाली आयु की स्थिति होगी उसके दो तिहाई बीत जाने पर पहली दफे अन्तर्मुहर्त के लिए आगामी भव का आयु बघ होता है । फिर दो