________________
( २३ )
आत्मा का सम्बन्ध ज्ञान- दर्शनादि अनन्त गुणो से है । नौ प्रकार के पक्षो से मेरा किसी भी प्रकार का सम्बन्ध नही है । इसलिए ज्ञानदर्शन से आत्मा की पहिचान कराई है ।
प्रश्न २७ - 'चित्स्वभावाय- भावाय मे द्रव्य-गुण क्या-क्या हैं ? उत्तर- 'चित्स्वभावाय' गुण को बताता है और 'भावाय द्रव्य' को बताता है ।
प्रश्न २८ - जैसे -- इस प्रथम कलश में ज्ञान दर्शन से जीव की पहिचान कराई है । ऐसी पहिचान और कहीं, किसी जगह, किसी शास्त्र में कराई है ?
उत्तर- ( १ ) समयसार गा० २४ मे 'सर्वज्ञ ज्ञान विषै सदा, उपयोग लक्षण जीव है ।' (२) मोक्षशास्त्र मे " उपयोगो लक्षणम्" कहा है । ( ३ ) छहढाला मे "चेतनको है उपयोगरूप" ऐसा कहा है । (४) द्रव्यसग्रह मे "सुद्धणया सुद्ध पुण दसण णाण" कहा है ( ५ ) समयसार गा० ३८ मे "मैं एक शुद्ध सदा अरुपि, ज्ञान दृग हू यथार्थ से " ऐसा बताया है ।
प्रश्न २६ - सब अनुयोगो मे जीव का लक्षण ज्ञान-दर्शन क्यों बताया है ?
उत्तर- मैं पर द्रव्यो को, शरीरादि को हिला-डुला सकता हू | ऐसी खोटी मान्यता का अभाव करने के लिए ज्ञान-दर्शन जीव का लक्षण बताया है । क्योकि नित्य उपयोग लक्षण वाला जीव द्रव्य कभी परद्रव्यो रूप तथा शरीरादिरूप होता हुआ देखने मे नही आता है ।
प्रश्न ३० - "स्वानुभूत्या चकासते' का क्या भावार्थ है ?
उत्तर - अपनी ही अनुभवनरूप क्रिया से प्रकाशित है अर्थात् अपने से ही जानता है, प्रगट करता है । एकमात्र अपने चित्स्वभावाय पर दृष्टि करते ही शान्ति की प्राप्ति होती है । यह तात्पर्य है ।
प्रश्न ३१ - 'स्वानुभूत्या चालते' के पर्यायवाची शब्द क्या-क्या
हैं ?