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________________ प्रश्न १७४ - ( १ ) शब्दसमय, (२) अर्थ समय, (३) ज्ञानसमय को आगम के शब्दो मे समझाओ ? उत्तर - (१) भगवान की वाणी में पाँच अस्तिकाय, ६ द्रव्य, सात नत्व, नौ पदार्थ, निश्चय व्यवहार, उपादान - उपादेय, निमित्तनैमित्तिक सम्बन्ध, छह कारक, त्याग करने योग मिथ्यादर्शनादि, ग्रहण करने योग्य सम्यग्दर्शनादि और आश्रय करने योग्य एकमात्र अपना त्रिकाली भगवान है, ऐसा जो कथन आया है, या शास्त्रो मे है यह तो शब्द-समय है । (२) पाँच अस्तिकाय, ६ द्रव्य, सात तत्व, नौ पदार्थ निश्चय व्यवहार, उपादान - उपादेय, निमित्त नैमित्तिक सम्बन्ध, छह कारक, त्यागने योग्य मिथ्यादर्शनादि और ग्रहण करने योग्य सम्यम्दर्शनादि और आश्रय करने योग्य एकमात्र अपना त्रिकाली भगवान हैं ऐसा पदार्थ वह अर्थ समय है । ( ३ ) जैसा है वैसा ही सब ज्ञान में, आना, वह ज्ञान समय है | - प्रश्न १७५ - तीनो समय कब माने कहा जाय ? उत्तर - ( १ ) जैसा कथन हो, (२) वैसा ही पदार्थ हो, (३) वैसा ही ज्ञान हो, तीनो समय को माना । प्रश्न १७६ - शास्त्रो मे जैसा कथन आता है और जैसा देव गुरु कहते हैं वैसा ही हम मानते हैं । फिर हमारे अन्दर क्यो नहीं उतरता है उत्तर- ( १ ) जैसा घर कुटुम्ब, बेटा-बेटी से प्रीति प्रेम है, वैसा ही स्वसम्यग्ज्ञानमयी परमात्मा से तन्मय- अचल प्रीति प्रेम हो जाय तो सहज अर्थात परिश्रम किये बिना अन्दर बात उतर जावे । परन्तु ऐसा प्र ेम न होने के कारण अन्दर बात नही उतरती हैं । (२) जैसे -- लडकी १६ वर्ष तक माँ बाप के यहाँ रहती है । उसका पति के साथ सम्बन्ध होते ही सारा प्रेम वही आ जाता है, उसी प्रकार देव-गुरु-शास्त्र के कथन के प्रेम आ जाय तो अन्दर उतर जावे । परन्तु ऊपर-ऊपर से कहता है कि देव गुरु-शास्त्र ऐस कहते हैं- मानता नही, इसलिए मन्दर नही उतरता है । प्रति
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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