SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 258
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २५० ) प्रश्न ७८- यह जीव इतना सुनने पर भी क्यों नहीं चेतता है ? उत्तर- (१) जैसे कोई आदमी मोटे-मोटे तीन गद्दे ओढकर सो रहा है उसे कितना ही मारो, वह उठता नही; उसी प्रकार अनादिकाल से यह जीव मिथ्यादर्शन ज्ञान चारित्ररूप तीन गट्टे ओढकर सो रहा है । उसे सद्गुरु कितना ही जगायें, वह उठता ही नही है और (२) जैसे कोई पतली चादर ओढकर सो रहा है उसे जरा हिला दो, वह तुरन्त उठ जाता है, उसी प्रकार पात्र जीव को जरा ही कहो कि तू भगवान है तो फौरन जाग जाता है । प्रश्न ७६ - शास्त्रो मे (१) स्फटिकमणि की उपमा (२) दीपक की उपमा और (३) दर्पण की उपमा देने के पीछे आचार्यों का क्या मर्म है ? उत्तर- ( १ ) जिन वाणी मे स्फटिकमणि की उपमा वहाँ देते है, जहाँ आत्मा का स्वभाव बतलाना हो । (२) दीपक की उपमा वहाँ देते है, जहाँ आत्मा का स्व पर प्रकाशक स्वभाव बतलाना हो और (३) दर्पण की उपमा वहाँ देते है, जहां जैसा पदार्थों का स्वरूप है वैसा का वैसा बतलाना हो । प्रश्न ८० - भावक - भाव्य का दया-क्या अर्थ है ? उत्तर - ( १ ) समयसार गाथा ३२-३३ मे "भावक - कर्म का उदय और भाव्य = अस्थिरता सम्वन्धी शुभ भाव को बताया है ।" (२) प्रवचनसार गाथा २४२ मे 'भावक - आत्मा और भाव्य = सम्यग्दर्शनादि शुद्ध पर्याय को बताया है । = प्रश्न ८१ - सोपक्रम और निरुपम आयु से क्या तात्पर्य है ? उत्तर --- (१) सोपक्रम = जिस आयु की पूर्णता मे बाह्य के प्रति-कूल सयोग निमित्तरूप होवे, वह सोपक्रम आयु कहलाती है । (२) निरुपक्रम = जिस आयु की पूर्णता मे बाह्य सयोग निमित्तरूप ना होवे वह निरुपम आयु कहलाती है । प्रश्न ८२ -- आप कहते हो (१) कोई आत्मा शरीर का काम
SR No.010120
Book TitleJain Siddhant Pravesh Ratnamala 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambar Jain Mumukshu Mandal Dehradun
PublisherDigambar Jain Mumukshu Mandal
Publication Year
Total Pages323
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy