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कारण है। इस प्रकार मात्र मोहनीय कर्म ही बध का निमित्त कारण है।
प्रश्न ६५-पांच भावो में से बंध का कारण कौन है ?
उत्तर-पाँच भावो मे से मात्र औदयिक भाव ही बध का कारण है, किन्तु सर्व औदयिक भाव भी बध के कारण नहीं है. किन्तु मिथ्यात्व, असयम, कषाय और योग ये चार बघ के कारण है।
[धवला भाग सात पृष्ठ ] प्रश्न ६९-पुद्गलो मे बंध कैसे होता है और यह क्या बताता
उत्तर - पुद्गल मे स्पर्श-रस-गन्ध-वर्ण आदि सब पाये जाते हैं । इसमे भी स्पर्श को छोडकर बाकी गुणो की पर्यायो के कारण बध होता ही नही । स्पर्श गुण की ८ पर्याये हैं। इन आठ पर्यायो मे से मात्र स्निग्ध और रुक्ष इन दो पर्यायो मे ही वध होता है। जैसेपुदगल मे स्निग्ध-रुक्ष के कारण वध होता है। वैसे ही जीव मे राग-द्वेष के कारण वध होता है ।
प्रश्न ७०-यह जीव स्वयं स्वर्ण अक्षरों मे निगोद के टिकट पर हस्ताक्षर कैसे कर रहा है ?
उत्तर-इग्लैण्ड मे जिस समय चार्ल्स चौथा राजा था। उस समय वहाँ की पालियामेण्ट ने चार्ल्स के लिए फाँसी का प्रस्ताव पास किया। चाल के पास हस्ताक्षर करने के लिए भेज दिया, क्योकि वहाँ पर उस समय ऐसा ही कायदा था, कि पालियामेन्ट द्वारा पास होने पर भी जब तक किंग के हस्ताक्षर नही हो जावे, तब तक वह पास नही माना जाता था। देखो, उस समय राजा ने अपनी फाँसी पर स्वय हस्ताक्षर किये, उसी प्रकार अनादिकाल से मोहरूपी पागलपन के कारण यह अज्ञानी जीव क्षण-क्षण मे भाव मरण कर रहा है । ससार मे इसका किसी के साथ सम्बन्ध नही है लेकिन यह अज्ञानी जीव जहाँ भी जाता है, वहाँ पर 'यह मेरा, यह तेरा' करता